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अधिकारियों की लापरवाही के कारण गंगा बंदी का फायदा नहीं मिल पाया

हरिद्वार। गंगा बंदी के दौरान गंगा घाटों को निर्माण कार्यो में अब गंगा में पानी छोड़े जाने के पश्चात गंगा किनारे घाटों के निर्माण में तेजी नहीं आ पा रही है। जो निर्माण कार्य गंगा बंदी के दौरान होने थे। वह गंगा बंदी के समय अवधि में नहीं हो पाए हैं। उत्तर प्रदेश सिंचाई विभाग व उत्तराखण्ड सिंचाई विभाग के अधिकारियों की लापरवाही के कारण गंगा बंदी का फायदा नहीं मिल पाया है। गंगा में पानी छोड़े जाने के पश्चात अब निर्माण कार्यो में कर्मचारियों को भारी असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। गोविंद घाट व विश्वकर्मा घाट पर निर्माण कार्य तो चलाया जा रहा है। लेकिन निर्माण कर रहे श्रमिक बहती गंगा में जान जोखिम में डालकर गंगा घाटों का निर्माण करने में जुटे हुए हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि गंगा बंदी की समयावधि में ही गंगा घाटों के निर्माण पूरे किए जाने चाहिए थे। लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही का बड़ा उदाहरण साफ तौर पर नजर आ रहा है। कांग्रेसी नेता विभाष मिश्रा ने कहा कि गंगा घाटों का निर्माण अच्छी तरह से गंगा बंदी में ही हो सकता था। गंगा में पानी छोड़ने के पश्चात काम कर रहे श्रमिकों को भी परेशानियां झेलनी पड़ रही है। मात्र निर्माण कार्यो को लेकर इतिश्री ही की जा रही है। अधिकारी गंगा घाटों के निर्माण को लेकर किसी भी प्रकार की सजगता नहीं बरत पाए। जिसका खामियाजा धर्मनगरी के लोगों को ही झेलना पड़ेगा। मुख्य घाटों के निर्माण बहती गंगा में ही किए जा रहे हैं। विभाष मिश्रा ने कहा कि विभागीय अधिकारी मात्र खानापूर्ति कर रहे हैं। धन का दुरूपयोग किया जा रहा है। डबल इंजन सरकार निर्माण कार्यो को लेकर गंभीर नहीं है। महाकुंभ मेला प्रारम्भ होने वाला है। लेकिन अब तक गंगा घाटों के निर्माण कार्यो के अलावा सौन्दर्यकरण के काम तेजी के साथ नहीं किए जा रहे हैं। कांग्रेस महानगर अध्यक्ष संजय अग्रवाल ने कहा कि साफतौर पर बजट को ठिकाने लगाने के लिए निर्माण कार्य किए जा रहे हैं। घाटों के निर्माण गंगा बंदी की समयावधि के समय ही अच्छी तरह से हो पाते। अब तो मात्र खानापूर्ति ही की जा रही है। उन्होंने कहा कि निर्माण कार्य आधे अधूरे थे। गंगा को छोड़ दिया गया। जिससे गंगा में ही निर्माण सामग्री भी बह गयी। ऐसे लापरवाह अधिकारियों के खिलाफ उचित कार्रवाई भी प्रदेश सरकार को सुनिश्चित करनी चाहिए। पैसों की बंदरबांट का इससे बड़ा उदाहरण नहीं हो सकता है। 


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