हरिद्वार। श्री दक्षिण काली पीठाधीश्वर म.म.स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी महाराज ने सभी को दीपावली की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि रोशनी के इस पर्व को प्रेम, सौहार्द व श्रद्धापूर्वक मनाएं। उन्होंने कहा कि लंका विजय के पश्चात भगवान राम के अयोध्या पहुंचने पर मनायी गयी दीपावली पौराणिक काल से ही लोगों को अज्ञान व अन्याय के खिलाफ लड़ने की प्रेरणा देती है। धार्मिक पर्व आदि अनादि काल से सनातन परंपराओं को मजबूती प्रदान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि धर्म की महत्ता को दर्शाने का सबसे अच्छा माध्यम पर्व ही हैं। हिंदू संस्कृति व सनातन परंपराएं देश दुनिया में अपनायी जा रही हैं। कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने कहा कि दीपावली पर्व में दीन दुखियों को भी शामिल करें। गरीब, असहाय लोगों की मदद करने से पर्व की खुशीयां दोगुनी हो जाती हैं। साथ ही विशेष ईश्वरीय कृपा की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि दीपावली की खुशीयों में पर्यावरण का विशेष ध्यान रखें। पटाखों की तेज आवाज व उससे होने वाले प्रदूषण से पर्यावरण को होने वाले नुकसान तथा बीमार व वृद्धों को होने वाली परेशानी को देखते हुए पटाखे जलाने से परहेज करें। ईको फ्रैन्डली दीपावली मनाएं। चाईनीज लड़ियों के स्थान पर मिट्टी के दीपक जलाएं। दीपावली रोशनी का पर्व है। दीपावली पर समाज में फैले अज्ञान रूपी अंधकार को भी दूर करने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि दीपावली के अवसर पर श्री दक्षिण काली मंदिर में मां काली की विशेष पूजा अर्चना का आयोजन किया जाएगा। मां दक्षिण काली अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। स्वामी कैलाशानंद ब्रह्मचारी ने बताया कि दीपावली की पूर्व रात्रि में भगवान बजरंग बली व मां काली की विशेष पूजा अर्चना की जाएगी। जिसमें बड़ी संख्या में मां के भक्त शामिल होंगे। इस अवसर पर अंकुश शुक्ला, सागर ओझा, पंडित प्रमोद पाण्डे, आचार्य पवनदत्त मिश्र, अनुज दुबे, अनुराग वाजपेयी, अनूप भारद्वाज, संजय जैन, नमित जैन आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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