हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के सीनेट हाल में स्वामी श्रद्धानन्द शोध संस्थान के निदेशक एवं विभागाध्यक्ष प्रो0 सत्यदेव निगमालंकार द्वारा रचित पुस्तक पंच महायज्ञविधि एवं आर्य-पर्वपद्धति का विमोचन भारतीय इतिहास अनुसन्धान परिषद, भारत सरकार के सदस्यध्सचिव प्रो0 के0रत्नम् ने किया। उन्होंने कहा कि भारत को समझने के लिए आर्य जीवन पद्धति एवं पर्वो को समझना बहुत आवश्यक है। उसी प्रकार से यज्ञ को समझने के लिए अलग-अलग विद्वानों ने अपने ही ढ़ंग से प्रचारित एवं प्रसारित किया है। इस पुस्तक में महायज्ञ के बारे में वेदों, उपनिषदों और स्वामी दयानन्द सरस्वती के सत्यार्थ प्रकाश को परिभाषित किया गया है। पंचमहायज्ञ एवं आर्यपर्वो के विषय में समाज के सदस्यों की मांग पर इस ग्रन्थ को तैयार किया गया है। स्वामी श्रद्धानन्द वैदिक शोध संस्थान के निदेशक प्रो0 सत्यदेव निगमालंकार ने बताया कि इस पुस्तक में 100 पेज है। यह पुस्तक पंचमहायज्ञविधि एवं आर्य-पर्वपद्धति पर आधारित है। इस पुस्तक में ब्रह्मयज्ञ, देवयज्ञ, अथ अग्निहोत्रीविधि, पितृयज्ञ, अतिथियज्ञ, बलिवैश्देवयज्ञ, आर्य समाज स्थापना और वैदिक संस्कृति द्वारा स्थापित सभी पर्वो में इस पुस्तक का प्रयोग किया जा सकता है। वर्तमान में मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय वेद और वैदिक यज्ञ को लेकर पूरे देशभर में पंचमहायज्ञविधि को जन-जन तक पहुंचाने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कार्य कर रही है। प्रो0 प्रभात कुमार ने कहा कि भारतीय ज्ञान परम्परा विषय वैदिक परम्पराओं के आधार पर विश्वविद्यालय अनुदान आयोग के निर्देशानुसार स्नातक स्तर पर शुरू किया गया है। वेद के छात्रों को यज्ञ और वेद मंत्रों का ज्ञान होना अत्यन्त आवश्यक है। इस अवसर पर डा0 दिलिप कुमार कुशवाहा विकास राणा, अरविन्द कुमार शर्मा, सुभाष इत्यादि उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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