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नागरिकता संशोधन कानून को वापस लेने की मांग को लेकर भेजा राष्ट्रपति को ज्ञापन

हरिद्वार। दो दिन पूर्व संसद में पारित किए गए नागरिकता संशोधन बिल को वापस लिए जाने की मांग को लेकर जमीयत उलेमा ए हिन्द व मुस्लिम आरक्षण संघर्ष समिति के संयुक्त तत्वावधान में मदरसा दारूल उलुम रशीदिया में सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से राष्ट्रपति को ज्ञापन प्रेषित किया गया। इस दौरान बड़ी संख्या में मुस्लिम समाज के लोग व धर्मगुरू मौजूद रहे। मौलाना आरिफ ने कहा कि संसद से पारित किया नागरिकता संशोधन बिल सांप्रदायिकता से प्रेरित है। जमीयत उलेमा ए हिन्द के सदस्य और समर्थक इसका विरोध और निंदा करते हैं। धार्मिक आधार पर पारित किया गया बिल संविधान विरोधी है। जिससे देश के धार्मिक आधार पर बंटवारे का खतरा उत्पन्न हो गया है। इस बिल के लागू होने से देश में अमनोचैन पर विपरीत प्रभाव होगा। धर्म का आधार देश के बहुलतावादी ताने बाने का उल्लंघन करता है। सीएबी ना बल्कि भारतीय संविधान की मूल भावना/परिकल्पना के खिलाफ है बल्कि ये संविधान के अनुच्छेद 14 का भी घोर उल्लंघन है। भारत का संविधान सभी धर्मो व व्यक्तियों को़ समानता का अधिकार देता है। लेकिन धर्म के आधार पर पारित किए गए नागरिकता संशोधन विधेयक में संविधान की इस मूल भावना का दरकिनार कर दिया गया है। हाजी नईम कुरैशी व मकबूल कुरैशी ने कहा कि पारित विधेयक के अनुसार दूसरे देशों से आने वाले शरणार्थियों को देश की नागरिकता देने का प्रावधान किया गया है। लेकिन विधेयक में मुस्लिम समाज को छोड़ दिया गया है। मुस्लिम आरक्षण संषघ समिति के अध्यक्ष सुहेल अख्तर व हाजी रफी खान ने कहा कि धार्मिक आधार पर लागू किए जा रहे नागरिका संशोधन विधेयक को कतई मंजूर नहीं किया जाएगा। संविधान की मूल भावना का उल्लंघन कर लाए गए विधेयक को जनभावनाओं का सम्मान करते हुए राष्ट्रपति को इसे निरस्त करना चाहिए। छम्मा ठेकेदार व सद्दकी गाड़ा ने कहा कि यह विधेयक धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देने वाला है। ज्ञापन सौंपने वालों में सद्दीक गाड़ा, इसरार अहमद, रियासत गौड़, हाजी इरफान अंसारी, फुरकान एडवोकेट, अकरम चैधरी, परवेज, साजिद हसन, जफर अंसारी, फकीरा खान, जफर अब्बासी, जोनी अंसारी, शोएब अंसारी, फैज आलम, सलीम ख्वाजा, दिलशाद मंसूरी, लईक अंसारी, शाहनवाज कुरैशी, इरफान भट्टी, छम्मन पारजी, आदि सहित सैकड़ों लोग मौजूद रहे।


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