हरिद्वार। कोलकाता निवासी एवं राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित विश्व प्रसिद्ध शास्त्रीय सरोध वादक सरोध बाबा व शास्त्रीय भजन गायिका श्रीमती गायकी माता ने हरकी पौड़ी हरिद्वार पर अपने भजनों की प्रस्तुति दी। गायकी माता ने श्री गणेश वंदना के साथ राज जोग से कार्यक्रम की शुरुआत कर माँ गंगा के भजन व क्लासिकल भजन 'अलाप बन्दिश' पर श्रोताओं को झूमने पर मजबूर कर दिया। सभी श्रोताओं ने तालिया बजा कर भजनों का आनंद लिया। सरोध बाबा व गायिका माता ने कहा कि पाश्चात्य संस्कृति व संगीत की और आज का युवा प्रेरित हो रहा है। भारतीय परम्परागत वाद्य यंत्रों की जानकारी युवाओं को होनी चाहिए। पाश्चात्य संस्कृति से आज की युवा पीढ़ी को किनारा करना चाहिए। अपने परम्परागत गीत संगीत में युवाओं को रूचि लेनी चाहिए। उन्होंने कहा कि भजनों से हमारी संस्कृति का प्रचार प्रसार किया जा सकता है। भारतीय परिवेश में भजन गायकों को महत्वपूर्ण भूमिका है। गंगा के तट पर भजनों का लाभ अवश्य ही श्रद्धालु भक्तों को प्राप्त होता है। गंगा हमारी आस्था का केंद्र बिन्दु है। हरकी पैड़ी पर देश दुनिया से श्रद्धालु भक्त पुण्य लाभ अर्जित करने के लिए पहुंचते हैं। श्री गंगा सभा के महामंत्री तन्मय वशिष्ठ ने माल्यार्पण कर सरोध बाबा व सुमित श्रीकुंज ने पुष्प गुच्छ देकर गायकी माता का स्वागत किया। तन्मय वशिष्ठ ने कहा कि सांस्कृतिक संगीत का आज भी उतना ही महत्व है। पाश्चात्य संस्कृति से भारतीय लोक संगीत पर कुछ प्रभाव अवश्य पड़ा है। लेकिन संगीत की जो मिठास भारतीय लोक संगीत में है। अध्यक्ष प्रदीप झा, व्यापारी नेता आशीष गुप्ता व संजय बंसल ने दोनों का स्वागत किया। इस अवसर पर अमित शास्त्री, उज्ज्वल पंडित, सिद्धार्थ चक्रपाणि, अवधेश कौशिक, नितिन गौतम, नितिन खेड़ेवाल, पंकज अधिकारी, मनीष झा, बाबू राम मिश्रा, वैभव विद्याकुल, संदीप , प्रवीण मल, वीरेन्द्र कौशिक आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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