हरिद्वार। श्रीमद्भागवत कथा वह ज्ञान की गंगा है। जो व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर भक्ति के प्रवाह को बढ़ाती है। भगवान श्रीकृष्ण की प्रसन्नता का प्रधान है। मन की शुद्धि के लिए श्रीमद्भागवत से बढ़कर कोई साधन नहीं है। उक्त उद्गार बाल कथा व्यास पंडित ब्रह्मरात हरितोष महाराज ने मंशा देवी मंदिर प्रांगण में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि श्रीमद्भागवत भक्ति रस तथा अध्यात्म ज्ञान का भण्डार है। भागवत निगम कल्पतरू का स्वयं फल माना जाता है। जिसे नैष्ठिक ब्रह्मचारी व बह्मज्ञानी महर्षि शुकदेव ने अपनी मधुरवाणी से संयुक्त कर अमृतमय बना डाला। मां मंशा देवी ट्रस्ट के परमाध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि श्रीमद्भागवत विद्या का अक्षय भण्डार है। जो सभी प्रकार के कल्याण देने वाला त्रय ताप आधिभौतिक, आधिदैविक और अध्यात्मिक आदि का शमन करता है। ट्रस्टी प्रदीप शर्मा व समाजसेवी नीरज कुमार कुमार ने बाल कथा व्यास की प्रशंसा करते हुए कहा क वाणी की ऐसी मधुरता और वेदों का ऐसा ज्ञान विरले ही देखने को मिलता है। उन्होंने कहा कि कथा व्यास पंडित ब्रह्मरात हरितोष बाल अवस्था से ही भारतीय संसकृति व सनातन धर्म का प्रचार प्रसार कर लोगों को मार्गदर्शन कर रहे हैं। ट्रस्टी अनिल शर्मा, ट्रस्टी तरूण गांगुली ने कहा कि श्रीमद्भागवत मां गंगा की भांति मोक्षदायिनी है। इस अवसर पर नीलाभ मिश्र, पंडित संतोष दीक्षित, पंडित महेश गिरी, पंडित पवन गिरी, पंडित अमर उपाध्याय, पंडित अमरनाथ मिश्रा, मुन्ना पंडित, पंडित द्वारिका मिश्रा, पंडित सीताराम शर्मा, पंडित रामभवन शर्मा, सचिन अग्रवाल, पंडित धीरज गिरी आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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