हरिद्वार। गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने कहा कि वसंत शक्ति का अरुणोदय है। वसंत जीवन का शृंगार करता है। प्रकृति और परमेश्वर के मिलन का महापर्व है वसंत। यह बात डॉ. पण्ड्या ने शांतिकुंज में आयोजित वसंत उत्सव में कही। धर्मध्वजा फहराने के साथ प्रारंभ हुए आयोजन में शैल जीजी एवं देवसंस्कृति विवि के कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या ने विश्वभर से आये गायत्री साधकों को वासंती उल्लास की शुभकामनाएं दीं। सरस्वती पूजन, गुरुपूजन एवं पर्व पूजन के साथ हजारों साधकों ने पुष्पांजलि अर्पित कीं। तीन दिवसीय वसंतोत्सव के प्रमुख कार्यक्रम को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि इन दिनों वासंती संस्कृति पूरे विश्व में दिखाई दे रही है। रूस, अमेरिका सहित अनेक देशों के लोग भारतीय संस्कृति के प्रति आकर्षित हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि लोगों में जब संस्कृति आती है, तब उनमें उदारता, सेवाभाव जैसे सद्गुण विकसित होने लगते हैं। युवा उत्प्ररेक डॉ. पण्ड्या ने श्रीअरविन्द, रामकृष्ण परमहंस आदि का हवाला देते हुए कहा कि साधना से ही ये सिद्ध हुए और समाज के लिए उल्लेखनीय कार्य कर पाये। संस्था की अधिष्ठात्री शैलदीदी ने कहा कि वसंत उल्लास, उमंग का महापर्व है। वसंत पर्व के दिन ही लिपि का प्रादुर्भाव हुआ और इसी से ज्ञान का विस्तार हुआ और जनमानस में विकास दर बढ़ा है। रामायण आदि प्राचीन ग्रंथों का हवाला देते हुए शैलदीदी ने कहा कि भौतिक संपदा की तुलना में आत्मिक व आध्यात्मिक प्रगति का महत्व ज्यादा है। उन्होंने कबीरदास, स्वामी रामदास एवं स्वामी रामकृष्ण परमहंस की जीवनी पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इन अवतारी सत्ताओं के कार्य को आचार्यश्री ने इस युग में आगे बढ़ाने का कार्य किया है। उन्हीं सूत्रों पर चलते हुए गायत्री परिवार आगे बढ़ रहा है। इस अवसर पर डॉ. पण्ड्या व शैलदीदी ने आचार्यश्री की पुस्तकों का अंग्रेजी व तमिल भाषाओं में अनुवादित पांच पुस्तकों का विमोचन किया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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