हरिद्वार। उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर-महाविद्यालय खेल प्रतियोगिता के दूसरे दिन खिलाड़ियों ने वॉलीबाल, एथलेटिक्स, कबड्डी, हैमर थ्रो आदि में प्रतिभा का हुनर दिखाया। 400 मीटर पुरुष वर्ग की दौड़ में जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्रदीप भंडारी प्रथम, गुरुकुल पौंधा के देवेंद्र द्वितीय, उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के संजीव तृतीय स्थान पर रहे। 200 मीटर पुरुष दौड़ में जयराम संस्कृत महाविद्यालय के प्रदीप भंडारी प्रथम, उत्तराखंड संस्कृत विवि के हिमांशु त्यागी द्वितीय, मनोज जोशी तृतीय स्थान पर रहे। डिस्कस थ्रो में उत्तराखंड संस्कृत विवि के विकास प्रथम, जयराम संस्कृत महाविद्यालय के पार्थ शर्मा द्वितीय, पुरुषोत्तम प्रसाद तृतीय स्थान पर रहे। हैमर थ्रो प्रतियोगिता में उत्तराखंड संस्कृत विवि परिसर के दीपक प्रथम जबकि जयराम संस्कृत महाविद्यालय के कुलदीप कुमार द्वितीय, गुरुकुल पौंधा के राहुल राणा तृतीय स्थान पर रहे। महिला वर्ग 100 मीटर दौड़ में उत्तराखंड संस्कृत विवि की रूबी सैनी प्रथम, मीनाक्षी द्वितीय, आरवाईडीएसककी हिमांशी तृतीय स्थान पर रही। 200 मीटर में रूबी सैनी प्रथम, मीनाक्षी द्वितीय, ज्योति तृतीय स्थान पर रही। 400 में रूबी सैनी प्रथम, मोनिका द्वितीय, सोना रावत तृतीय स्थान पर रही। वॉलीबाल के फाइनल में उत्तराखण्ड संस्कृत विवि ने जयराम संस्कृत महाविद्यालय को शिकस्त देकर जीत दर्ज की। कबड्डी के फाइनल में भी उत्तराखंड विवि की टीम विजयी रही। इस दौरान कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी, डॉ शैलेश कुमार तिवारी, डॉ हरीश चंद्र तिवाड़ी, कुलानुशासक डॉ मनोज किशोर पंत, छात्र कल्याण अधिष्ठाता डॉ लक्ष्मीनारायण जोशी, डॉ रत्न लाल, डॉ दामोदर परगांई, उपकुलसचिव दिनेश कुमार, डॉ प्रतिभा शुक्ला, मीनाक्षी, डॉ अरविंद नारायण मिश्र, डॉ राकेश कुमार सिंह, डॉ धीरज शुक्ला, डॉ अरुण कुमार मिश्र आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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