हरिद्वार। पतंजलि बाॅयो रिसर्च इंस्टीट्यूट तथा इंडियन इंस्टीट्यूट आॅफ मिलेट्स हैदराबाद के मध्य बड़े मिशन के साथ एक महत्वपूर्ण एम.ओ.यू. पर हस्ताक्षर हुए। इस एम.ओ.यू. के माध्यम से गाँव, खेत-खलिहान तथा दूर-दराज के किसानों को लाभ मिलेगा। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि अब पतंजलि एक सेंटर आॅफ एक्सिलेंस का निर्माण करने जा रहा है जिससे न केवल देश को कुपोषण से मुक्ति मिलेगी अपितु देश के किसान की आय में भी वृद्वि होगी। इससे देश में समृद्वि आएगी तथा देश के नागरिकों को स्वास्थ्य लाभ मिलेगा। हमारा प्रयास है कि देश में उत्पादित मिलेट का हम सही मूल्यांकन कर उच्च गुणवत्ता युक्त पदार्थों को विकसित कर सकें। उत्पादन के साथ ही हमारा प्रयास मिलेट्स के निर्यात को दुरुस्त करने का रहेगा। जिससे किसानों को उनकी उत्पादित पफसल का सही मूल्य मिल पाएगा। पतंजलि बाॅयो रिसर्च इंस्टीट्यूट जैविक कृषि के लिए किसानों को प्रेरित करने के साथ समय-समय पर जैविक कृषि का प्रशिक्षण भी देता है। अच्छी खेती के लिए मिट्टी की जाँच होनी नितान्त आवश्यक है। इसके लिए पतंजलि बाॅयो रिसर्च इंस्टीट्यूट ने ‘धरती का डाॅक्टर’ किट को विकसित किया है जिससे मिट्टी में पोषक तत्वों की सही मात्रा का मूल्यांकन हो पाता है। मिट्टी की जाँच ठीक से की जाएगी तो किसान को पता होगा कि उसकी मिट्टी में किन पौषक तत्वों की कमी है तथा उसे किन-किन उर्वरक का प्रयोग करना चाहिए। पतंजलि द्वारा संचालित वर्चुअल साॅल्यूशन सिस्टम के अंतर्गत ‘सोइल टू सैटलाइट’ के साथ ‘खेत से उपभोक्ता’ तक सम्पूर्ण टेªसेबिलिटी विश्लेषण तथा सभी प्रकार की कृषि संबंधित योजनाओं को एक स्थान से प्रत्यक्ष रूप से किसानों तक पहुँचाने का प्रयास है। बैठक में के डाॅयरेक्टर डाॅ.विलास ए.तोनापी तथा मुख्य वैज्ञानिक डाॅ.बी.दयाकर राव शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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