हरिद्वार। गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति, प्रो. (डॉ.) डी. के. माहेश्वरी को उत्तराखंड विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी परिषद (यूकोस्ट), देहरादून, द्वारा विज्ञान के क्षेत्र में राज्य सरकार द्वारा दिया जाने वाला सर्वोच्च पुरस्कार, “विज्ञान विभूति” मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत द्वारा सम्मानित किया गया है। यह पुरस्कार प्रत्येक वर्ष विशेष व्यक्तियों को दिया जाता है यह पुरस्कार विज्ञान एंव प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में बहुमूल्य योगदान के लिये दिया जाता है इससे पहले उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है। प्रो. माहेश्वरी, अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कई वैज्ञानिक समितियों, विभिन्न शैक्षणिक और प्रशासनिक समितियों के पैनल के एक सक्रिय सदस्य हैं। हाल ही में उन्हें आजीवन उपलब्धि पुरस्कार भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय लखनऊ से सम्मानित किया गया है वह जर्नल ऑफ इंडियन बॉटनिकल सोसाइटी (1999-2002) के संपादक भी रहे है और इससे पूर्व ‘‘प्रोव वाई.एस. मूर्ति पदक ”और भारतीय बॉटनिकल सोसायटी का बीरबल साहनी पुरस्कार’ वर्ष 1992 और 2018 में, उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा चुका है। प्रो. माहेश्वरी के लगभग 165 शोध पत्र और प्रमुख पीयर समीक्षा पत्रिकाओं में समीक्षा लेख प्रकाशित हो चुके हैं। इनकी अगुआई में 45 उम्मीदवारों को डॉक्टरेट (पीएचडी) की उपाधि से सम्मानित किया जा चुका है । प्रो. डी. के. माहेश्वरी, बैंगलोर के राष्ट्रीय प्रत्यायन और मूल्यांकन परिषद की पीयर टीम के सदस्य सह-समन्वयक हैं। उन्होंने माइक्रोबियल टाइप कल्चर कलेक्शन, चंडीगढ़, भारत में रायजोबीयम के चार उपभेदों और जापान के सूक्ष्मजीव का संग्रह, वाको में सिनोरिजोबियम के दो उपभेद जमा किए हैं। उनके दो पेटेंट हाल ही में भारतीय पेटेंट कार्यालय द्वारा प्रकाशित किए गए हैं। पहला पेटेंट‘‘ रोग प्रबंधन के लिए बीज का लेप और उसके बाद उर्वरकों की मात्रा को फसलों में कम करने तथा बायोफर्टीलाइजर का उपयोग करने के लिए पेटेंट ‘‘ और दूसरा ‘‘औषधीय पौधे की सक्रिय विकास और उपज को बढ़ाने के लिए जैव-इनोकुलेंट कंसोर्टियम बनाने की विधि। उन्होंने राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय प्रकाशन गृहों से कई पुस्तकें प्रकाशित की हैं। वर्तमान में प्रोफेसर महेश्वरी वर्तमान में प्रोफेसर माहेश्वरी विश्वविद्यालय अनुदान आयोग की बुनियादी अनुसंधान फेलोशिप में काम कर रहें हैं। सर्वोच्च पुरस्कार, विज्ञान विभूति प्राप्त होने पर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो रूपकिशोर शास्त्री, कुलसचिव प्रो दिनेश भट्ट एवं गुरुकुल परिवार के सभी सदस्यों ने शुभकामनाए दी।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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