हरिद्वार। कुम्भ पर्व 2021 की तैयारियों को लेकर प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन तथा मेला प्रशासन ने कड़ी कवायद शुरू कर दी है।अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद की पिछले कई वर्षो से भूसमाधि के लिए भूमि आवटित किए जाने की मांग को अमलीजामा पहनाते हुए शुक्रवार को सबेरे जिलाधिकारी के निर्देश पर उपजिलाधिकारी कुश्म चैहान,तहसीलदार मेला मंजीत सिंह,नायब तहसीलदार सुशील सैनी ने अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरि गिरि,जूना अखाड़े के राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरि,महानिर्वाणी अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी,निरंजनी अखाड़े के श्रीमहंत आशुतोष पुरी,जूना अखाड़े के सचिव श्रीमहंत महेशपुरी,महंत विद्यानन्द गिरि आदि को प्रशाासन द्वारा चिन्हित भूखंडो का निरीक्षण कराया। अखाड़ा परिषद के प्रतिनिधि मण्डल ने सर्वप्रथम मातृसदन के सामने गंगा पार स्थित भूखंड का जायजा लिया। उसके बाद प्रशासनिक अधिकारी व प्रतिनिधिमण्डल नीलधारा बाॅध बैरागी कैम्प के निकट स्थित भूमि का जायजा लेने पहुचे। ज्ञात रहे कि इसी बाॅध के निकट पूर्व में साधु-सन्तो को जलसमाधि दी जाती है।इसके निकट लगभग चार हैक्टयर भूमि समाधि स्थल के लिए ली जानी प्रस्तावित है। इसके अतिरिक्त एक अन्य भूखंड गौरी शंकर द्वीप चण्डी पुल के नीचे भी संतो को दिखाया गया।यह भूखंड चण्डीपुल के नीचे नमामि गंगे परियोजना के तहत बनाए गए श्मशान घाट से सटा हुआ है। स्थल निरीक्षण के पश्चात श्रीमहंत हरिगिरी ने बताया नीलधारा बाॅध के निकट तथा गौरी शंकर द्वीप पर स्थित भूखण्ड भूसमाधि के लिए उपयुक्त है। शीघ्र ही अखाड़ा परिषद की बैठक में विचार विमर्श कर किसी एक स्थान का चयन कर प्रशासन को सूचित कर दिया जायेगा। उन्होने प्रशासन से कहा है कि इन दोनो ही भूखण्डों को दिए जाने सम्बन्धी सभी औपचारिकताएं पूरी कर प्रदेश सरकार को स्वीकृति के लिए भेजने की कार्यवाही शीघ्र पूरी कर ले ताकि समय रहते इस भूखण्ड की चारदीवारी और अन्य आवश्यकताएं पूरी कर ली जाए।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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