हरिद्वार। उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में तीन दिवसीय अंतर-महाविद्यालय खेल प्रतियोगिताओं का समपूर्ति समारोह संपन्न हुआ। समापन समारोह के मुख्य अतिथि संस्कृत शिक्षा सचिव विनोद प्रसाद रतूड़ी ने कहा कि संस्कृत के विकास के लिए अभी और कार्य करने की जरूरत है। संस्कृत छात्रों के लिए खेलों का आयोजन महत्वपूर्ण प्रक्रिया का हिस्सा है। खेल छात्रों के जीवन में अनुशासन की भावनाओं का विकास करते हैं। इस दौरान मुख्य अतिथि ने विजेता टीम और खिलाड़ियों को सम्मानित किया। उन्होंने कहा कि संस्कृत के छात्र स्वयं को किसी से कमतर न समझें, वह खेलों को अपने जीवन का हिस्सा बनाएं। रतूड़ी ने कहा कि उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय में इस तरह के आयोजन छात्रों के सर्वागींण विकास के लिए आयोजित होते रहने चाहिए। वह अपने स्तर से विश्वविद्यालय के विकास के लिए हर तरह से प्रयास करेंगे। खिलाड़ियों का उत्साह वर्धन करते हुए उन्होंने कहा कि जो छात्र अपने प्रयासों में पीछे रह गए हैं अगले वर्ष वह फिर से तैयारी कर विश्वविद्यालय की प्रतियोगिताओं का हिस्सा बनें। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. देवीप्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि संस्कृत देश की जीवन्त भाषा होने के साथ ही भारत की आत्मा है। जिस तरह से शरीर से आत्मा को अलग किया जाए। तो वह शरीर निष्प्राण हो जाता है, उसी तरह देश से संस्कृत को अलग नहीं किया जा सकता। कुलपति ने कहा कि संस्कृत पढ़ने वाले छात्र को खेलों का हिस्सा बनना बहुत जरूरी है। खेल किसी भी अवस्था के लोगों के बौद्धिक विकास को सुव्यवस्थित करने के लिए आवश्यक है। खेल हमें जीवन्त बनाते हैं, खेलों से दूर होने पर मनुष्य स्वास्थ्य से दूर हो जाता है। कुलसचिव गिरीश कुमार अवस्थी ने प्रतियोगिता में खेल भावना को सर्वोपरि मानकर चलने वाले सभी टीमों के प्रशिक्षकों एवं महाविद्यालय के प्राचार्यों की सराहना करते हुए आभार प्रकट किया। इससे पूर्व क्रीड़ा प्रभारी डॉ. अजय परमार ने स्वागत किया। प्रतियोगिता में रेफरी की भूमिका निभा रहे भारत भूषण सिंह, ओमकार शर्मा, राहुल सिंह, प्रियांशु एवं वैभव को मुख्य अतिथि ने स्मृति चिह्न भेंटकर सम्मानित किया। संचालन पर्यावरण विभाग के सहायक आचार्य डॉ. विनय कुमार सेठी ने किया। समापन समारोह में डॉ. शैलेश कुमार तिवारी, डॉ. प्रतिभा शुक्ला, डॉ. हरीश चंद्र तिवाड़ी, डॉ. बिन्दुमती द्विवेदी, कुलानुशासक डॉ. मनोज किशोर पंत, डॉ. रत्न लाल, डॉ. दामोदर परगांई, उपकुलसचिव दिनेश कुमार, मीनाक्षी डॉ. अरविन्दनारायण मिश्र, डॉ. राकेश कुमार सिंह, डॉ. अरुण कुमार मिश्र, खेल अधिकारी डॉ. चन्द्रशेखर शर्मा, मनोज गहतोड़ी, राजेन्द्र प्रसाद नौटियाल, सुभाष पोखरियाल, त्रिभुवन सिंह, धीरज सिंह, राजेन्द्र, राकेश भंडारी आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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