हरिद्वार। कुंभ मेले के सफल आयोजन को लेकर बैरागी संतों ने एकजुट होकर मां गंगा के जयकारे लगाए और मां गंगा से पूरे देश से कोरोना समाप्त करने की प्रार्थनाएं भी की। मध्य हरिद्वार स्थित नरसिंह धाम में आयोजित बैरागी संतों की बैठक को संबोधित करते हुए जगद्गुरू रामानंदाचार्य स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि मां गंगा के आशीर्वाद से कुंभ मेला निर्विघ्न रूप से आयोजित होगा। कुंभ मेला लाखों करोड़ों सनातन प्रेमियों की आस्था का केंद्र बिन्दु है। 2021 के कुंभ मेले की भव्यता व आलोकिकता को लेकर संत महापुरूषों द्वारा लगातार राज्य की त्रिवेंद्र सरकार व मेला प्रशासन से मांग की जा रही है कि हरिद्वार धार्मिक नगरी के स्वरूप को धार्मिक कलाकृतियों से सजाया जाए। जिससे बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं को हरिद्वार की दिव्यता का अहसास हो सके। लेकिन प्रशासन की लचर कार्यशैली के चलते धर्मनगरी का स्वरूप बिल्कुल निम्न स्तर पर पहुंचा हुआ है। श्रीपंच निर्मोही अणी अखाड़े के श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज व श्रीपंच निर्वाणी अणी अखाड़े के श्रीमहंत धर्मदास महाराज ने संयुक्त रूप से कहा कि अक्टूबर माह से पूरे देश से बैरागी संत हरिद्वार पहुंचने लगेंगे। प्रशासन बैरागी संतों की संख्या को कमतर ना आंके। इसलिए प्रशासन को सचेत होकर अपनी तैयारियां तेज करनी चाहिए। बाबा हठयोगी व महंत रामशरणदास महाराज ने कहा कि बैरागी कैंप में संतों की छावनियां स्थापित करने के लिए जल्द से जल्द भूमि आवंटन कर बिजली, पानी, सड़क, शौचालय आदि की व्यवस्था करे। जिससे समय रहते अखाड़े अपनी व्यवस्थाएं कर सकें। महंत किशनदास, महंत मोहनदास महाराज ने कहा कि कुंभ मेला हमारी भारतीय सनातन परंपरांओं की एक अद्भूत पहचान है। इस दौरान स्वामी राजेंद्रदास, महंत मनमोहन दास, महंत रामजीदास, महंत किशनदास, साध्वी विजय लक्ष्मी, साध्वी जयश्री, महंत रामशरण दास, महंत अगस्तदास, महंत सिंटू दास, बाबा योगीराज आदि उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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