हरिद्वार। योगऋषि स्वामी रामदेव एवं आयुर्वेद शिरोमणि आचार्य बालकृष्ण के आशीर्वाद से पतंजलि विश्वविद्यालय में तकनीकी एवं शब्दावली आयोग द्वारा प्रायोजित वेबिनार के तीसरे दिन योग के कई मूर्धन्य वक्ताओं का उद्बोधन सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर तकनीकी सत्र में प्रथम सम्बोधन भारतीय साहित्य शोध परिषद्, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के कार्यक्रम अधिकारी डॉ. सुशीम दुबे द्वारा दिया गया। उन्होंने विभूति पाद के कुछ सूत्रों पर प्रकाश डाला तथा चित्त के संस्कार, संयम जैसे जटिल विषयों की लोकोपयोगी व्याख्या प्रस्तुत की। योग श्रीश्री विश्वविद्यालय, कटक के संकायाध्यक्ष प्रो0 बी. आर. शर्मा ने योग के विभिन्न तकनीकी व शास्त्रीय शब्दावली पर चर्चा की तथा प्रतिभागियों के गम्भीर जिज्ञासाओं का सार्थक समाधान भी दिया। तृतीय तकनीकी सत्र में योग संस्कृत केन्द्रीय विश्वविद्यालय, हिमाचल प्रदेश के संकायाध्यक्ष प्रो0 बृहस्पति मिश्रा का उद्बोधन प्राप्त हुआ। उन्होंने अपने उद्बोधन में मोक्ष, तप, विभिन्न प्रकार की सिद्धि एवं आधि-व्याधि और समाधि जैसे शास्त्रनिष्ठ शब्दों की सारगर्भित व्याख्या की। सत्र का समापन वैदिक शान्ति पाठ से हुआ। सत्र संचालन कार्यक्रम सह-संयोजक डॉ. रुद्र एवं डॉ. विपिन ने किया जिसमें आयोजन समिति के सभी सदस्य, विश्वविद्यालय के सभी अधिकारीगण, आचार्यगण एवं शोध छात्रों ने सक्रिय सहभागिता की। अन्य संस्थानों के भी सैकड़ों जिज्ञासुओं ने कार्यक्रम से ऑनलाईन जुड़कर अपने ज्ञान कोष में वृद्धि की। इससे पूर्व कार्यक्रम में शब्दावली आयोग के अध्यक्ष प्रो0 अवनीश कुमार द्वारा अतिथि वक्ताओं का स्वागत-अभिनन्दन किया गया। कार्यक्रम संयोजक प्रो0 वी. के. कटियार ने सभी प्रतिभागियों को विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एवं कुलपति की ओर से शुभकामनाएं प्रेषित की।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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