हरिद्वार। लावारिसों को मोक्ष दिलाने के लिए संकल्पबद्ध संस्था श्री देवोत्थान सेवा समिति यपंजीद्ध के तत्वाधान में लगातार 19वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा का आयोजन किया जा रहा है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जन्म तिथि पर 2 अक्टूबर को दिल्ली से चलकर हरिद्वार पहुंचेगी। कनखल के सतीघाट पर 03 अक्टूबर को मां गंगा की गोद में अस्थि विसर्जन किया जायेगा। हरिद्वार में पुण्यदायी अभियान सेवा समिति और देवोत्थान सेवा समिति उत्तराखंड की ओर से जोरदार तैयारियां की जा रही है। समिति के प्रांतीय प्रभारी रविन्द्र गोयल ने बताया कि श्री देवोत्थान सेवा समिति हरिद्वार में पुण्यदायी अभियान सेवा समिति के संयुक्त तत्वाधान में 02 अक्टूबर को शहीदी पार्क, आईटीओ, प्रेस एरिया, नई दिल्ली से शुरु हुई 19 वीं अस्थि कलश विसर्जन यात्रा उसी दिन शाम को 5 बजे हरिद्वार में प्रवेश करेगी और शाम को 7 बजे निष्काम सेवा ट्रस्ट, भूपतवाला पहुंचेगी। रात्रि विश्राम के बाद अगले दिन प्रातः 9ः30 पूजा अर्चना के बाद कनखल के सतीघाट के लिए प्रस्थान करेगी। उन्होंने कहा कि श्री देवोत्थान सेवा समिति के राष्ट्रीय अध्यक्ष अनिल नरेन्द्र, व उपाध्यक्ष आदित्य नरेन्द्र की ओर से जानकारी दी गई कि संस्था के महामंत्री और यात्रा संयोजक विजय शर्मा के नेतृत्व में इस बार करोना संक्रमण काल के दौरान सिर्फ दिल्ली और एनसीआर के करीब चार हजार अस्थि कलशों को लेकर शाम 7 बजे निष्काम सेवा ट्रस्ट, अग्रवाल सेवा सदन भूपतवाला पहुंचेगे। प्रांत प्रमुख अवधेश शर्मा, उप प्रांत प्रमुख उमेश कौशिक, राजीव तुम्बड़िया, टीना शर्मा और पूण्यदायी अभियान सेवा समिति के प्रांतीय प्रभारी रविन्द्र गोयल, राजवंशी, प्रांतीय अध्यक्ष सतेन्द्र चैधरी,डा. विशाल गर्ग, उपाध्यक्ष डा. चन्द्रधर काला,मंत्री जानकी प्रसाद, कोषाध्यक्ष यशपाल विजन, सहित अन्य लोग यात्रा के आयोजन में जूटी है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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