हरिद्वार। आनन्द पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी बालकानन्द गिरी महाराज ने कहा है कि पुरूषोत्तम मास में गंगा तट पर भागवत कथा श्रवण का विशेष महत्व है। सहस्त्र गुणा पुण्य फल की प्राप्ति श्रोताओं को होती है। भूपतवाला स्थित हरिधाम सनातन सेवा ट्रस्ट आश्रम में आयोजित आॅनलाईन श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन श्रद्धालु भक्तों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि यदि व्यक्ति को व्यथाओं से मुक्त होना है तो कथा के माध्यम से भगवान की शरण में पहुंचना होगा। व्यक्ति का मन चंचल होता है। जो व्यक्ति को विकारों की तरफ ले जाता है। यदि व्यक्ति को मोहमाया के जंजाल से मुक्त होना है और अंधकार रूपी अंधकार से निकलना है तो श्रीमद्भागवत कथा के प्रसंगों को जीवन में आत्मसात करना होगा। क्योंकि कथा श्रवण के प्रभाव से व्यक्ति के शरीर और अंतःकरण का शुद्धिकरण होता है। जिससे वह सत्य के मार्ग पर अग्रसर होकर अपने कल्याण का मार्ग प्रशस्त करता है। कथा व्यास आचार्य राजेश कृष्ण ने कहा कि वैश्विक महामारी कोरोना काल में आॅनलाईन श्रीमद्भावगत कथा के माध्यम से भक्तों में धार्मिक ऊर्जा का संचार होगा ओर मन मे एकाग्रता बढ़ेगी। क्योंकि श्रीमद्भागवत कथा व्यक्ति के मन से मृत्यु का भय मिटाकर उसके बैकुण्ठ का मार्ग प्रशस्त करती है। हम सभी को अपने बच्चों को संस्कारवान बनाकर कथा श्रवण के लिए प्रेरित करना चाहिए। यदि व्यक्ति को परमभक्ति को प्राप्त करना है तो अपना मन प्रभु के चरणों में लगाना होगा। इस अवसर पर श्रीमहंत सत्यानन्द गिरी, स्वामी सोनू गिरी, स्वामी नत्थीनंद गिरी, आचार्य मनीष जोशी, महेश योगी, सुनील दत्त नंदकिशोर, सुनील कुमार आदि मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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