हरिद्वार। पं. दीनदयाल उपाध्याय एकात्म मानववाद के संवाहक थे। वह एक कुशल संगठनकर्ता व प्रबल राष्ट्रवादी चिंतक भी थे जिन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़कर समाजसेवा की दिशा में अविस्मरणीय योगदान दिया। यह विचार भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी ने शिवशक्ति धाम में पं. दीनदयाल उपाध्याय की जयंती के अवसर पर आयोजित विचार गोष्ठी में व्यक्त किये। अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि जन संघ की स्थापना में पं. दीनदयाल उपाध्याय का महत्वपूर्ण योगदान रहा। भारतीय जन संघ में उत्तर प्रदेश के महासचिव के रूप में अपना राजनीतिक जीवन प्रारम्भ करने के पश्चात उन्होंने 1967-68 में भारतीय जन संघ के राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर कार्य करते हुए समूचे देश में संगठन को मजबूत करने का कार्य किया। यही नहीं पत्रकारिता के क्षेत्र में राष्ट्र धर्म, पाञचजन्य और स्वदेश जैसी पत्र, पत्रिकाओं का सम्पादन करते हुए युवा पीढ़ी को राष्ट्रवाद के पथ पर अग्रसर किया। उन्होंने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय भारतीय राजनीति में सादगी, शुचिता व सद्भाव के स्वर्णिम हस्ताक्षर थे। भाजयुमो के जिला उपाध्यक्ष व पार्षद प्रतिनिधि विदित शर्मा ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय छात्र जीवन से ही अत्यन्त मेधावी थे। शहर व्यापार मण्डल के कोषाध्यक्ष अमित गुप्ता ने कहा कि पं. दीनदयाल उपाध्याय का समूचा जीवन अभाव व कष्टों में बीता। अपने कष्टों की परवाह न कर उन्होंने कभी राजनीतिक जीवन में विचारधारा के साथ कोई समझौता नहीं किया। विचार गोष्ठी में मुख्य रूप से सूर्यकान्त शर्मा, विकल राठी, रितेश वशिष्ठ, दिनेश शर्मा, रूपेश शर्मा, सोनू पंडित, अमरपाल प्रजापति, अंकुश भाटिया, रामवतार शर्मा, सीताराम बडोनी, दिव्यम यादव, रवि चैहान, अर्चित चैहान, हिमांशु शर्मा, संदीप गोस्वामी, अनुपम त्यागी, नरेश पाल, सतपाल सिंह, प्रकाश वीर, सुनील सैनी, सन्नी गिरि, आदित्य शर्मा, अविनाश सिंह समेत अनेक गणमान्यजन उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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