हरिद्वार। पतंजलि अनुसंधान संस्थान द्वारा वनस्पति नामकरण कार्यशाला के मध्यसत्र का उद्घाटन उत्तराखण्ड के उच्च शिक्षा मंत्री डाॅ0 धनसिंह रावत ने किया। आचार्य बालकृष्ण महाराज के नेतृत्व में विगत दशक से भी अधिक वर्षों से चल रहे वनस्पति नामावली शास्त्रों के निर्माण कार्य को अंतिम रूप प्रदान करने के लिए आयोजित कार्यशाला में अनेक विद्वान् सहभागिता प्रदान कर रहे हैं। कार्यशाला में प्रो0 वेदप्रकाश उपाध्याय, डाॅ0 मनोहर लाल, डाॅ0 सत्यपाल, डाॅ0 आचार्य रविन्द्र, डाॅ0 हरि सिंह शास्त्री, डाॅ0 सुभाष चन्द्र कौशिक आदि अनेक विद्वान् लोग विगत तीस दिनों से कार्यशाला में शामिल हैं जो तीन दिन और चलेगी। उक्त कार्यशाला में वनस्पति विश्वकोश के लिए संस्कृत भाषा में नामकरण व कार्यों के निर्धारण का कार्य चल रहा है। कार्यशाला के माध्यम से 3 लाख 60 हजार से ज्यादा वनस्पतियों का नामकरण किया जा रहा है। इस कार्य में पतंजलि की ओर से डाॅ0 राजेश मिश्र, डाॅ0 भास्कर जोशी, डाॅ0 सरिता, डाॅ0 करुणा, डाॅ0 स्वाति आदि अनेक विद्वान् व विदुषी अपनी सहभागिता प्रदान कर रहे हैं। उक्त कार्यशाला के विषय में आचार्य बालकृष्ण महाराज ने बताया कि आधुनिक वनस्पति शास्त्र के आधार पर संस्कृत नामकरण का यह अपने आप में अद्भुत व प्रथम प्रयास है। इससे हमारे शास्त्रों के संरक्षण को विश्वव्यापी बनाने में बड़ा योगदान होगा। डाॅ0 धनसिंह रावत ने उक्त कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि इस तरह की विश्वव्यापी कार्यशाला का आयोजन पतंजलि के द्वारा ही किया जा सकता है। इस महान् कार्य की महत्ता व इसकी व्यापकता से आने वाली सदियां लाभान्वित होंगी। संस्कृत भाषा में विज्ञान, शिक्षा व अन्य विषयों के शब्दकोष व विविध शास्त्रों के निर्माण से ही हम अपनी संस्कृति के महत्व को विश्व में पुनः प्रतिष्ठापित कर पायेंगे। इस दौरान कुंवर प्रणव सिंह ‘चैम्पियन’,विधायक दिलीप रावत आदि अनेक लोग उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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