हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री और श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय संरक्षक श्रीमहंत हरिगिरी ने कहा कि कुंभ मेला भारतीय संस्कृति की अद्भुत पहचान है। संत परंपरा ही कुंभ मेले की मुख्य धरोहर है। जो विश्व पटल पर भारतीय संस्कृति व सनातन धर्म को अनोखे रूप में संजोती है। श्री महंत ने यह बात मंगलवार को कांगड़ी में नवनिर्मित श्रीमहंत प्रेमगिरी आश्रम, गोशाला, शिव मंदिर और शनिदेव मंदिर के उद्घाटन अवसर पर कही। श्रीमहंत हरिगिरी ने कहा कि कुंभ मेला प्रारंभ होने में कम समय शेष रह गया है। सभी अखाड़े, आश्रम अपनी तैयारियां जोरशोर से पूरी कर रहे हैं। अखाड़ों के पास पर्याप्त जगह न होने के कारण अखाड़े के संत अपने निजी आश्रम बनाकर कुंभ की तैयारियां सुचारू रूप से करते हैं। जूना अखाड़े के अंतर्राष्ट्रीय सभापति श्रीमहंत प्रेमगिरी ने कहा कि कुंभ मेले के दौरान देश भर से संत गंगा स्नान के लिए हरिद्वार आते हैं। मेले के स्वरूप को दिव्य व भव्य बनाने के लिए आश्रमों से मेले की व्यवस्था प्रारंभ कर दी गयी हैं। मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविन्द्रपुरी व निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी ने कहा कि सनातन धर्म का सबसे बड़ा पर्व कुंभ मेला करोड़ों श्रद्धालु भक्तों की आस्था का केंद्र है। जिसे सकुशल संपन्न कराना सभी का दायित्व है। मेलाधिकारी दीपक रावत व अपर मेलाधिकारी हरबीर सिंह ने कहा कि संतों व मेला प्रशासन के समन्वय से कुंभ मेला दिव्य व भव्य रूप से संपन्न होगा। कुंभ मेला आईजी संजय गुंज्याल ने कहा कि संत महापुरुषों के तप बल से ही धर्मनगरी की पहचान पूरे विश्व में है। इस अवसर पर दूधेश्वर मठ के पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी, श्रीमहंत विद्यानन्द सरस्वती, महंत सोहन गिरी, श्रीमहंत सत्यगिरी, महंत केदार पुरी, श्रीमहंत विनोद गिरी, महंत रामगिरी, अष्टकौशल महंत हरेराम गिरी, श्रीमहंत आराधना गिरी, महंत महेश पुरी, महंत धीरेंद्र पुरी, महंत देवानन्द सरस्वती, महंत शैलेंद्र गिरी, महंत तीर्थगिरी आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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