हरिद्वार। श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के श्रीमंहत रविंद्र पुरी महाराज ने कहा कि कुंभ पर्व सनातन संस्कृति की अद्भुत पहचान है। कुंभ पर्व मात्र स्नान का पर्व न होकर मंथन का पर्व है। उन्होंने कहा कि कुंभ स्नान से जहां पापों की निवृत्ति होती है। वहीं विचारों के मंथन से समाज में नई ऊर्जा का संचार किया जाता है। श्रीमहंत रविंद्र पुरी महाराज ने ये उद्गार श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी छावनी में आयोजित धार्मिक समारोह में व्यक्त किए। उन्होंने कहा कि शासन प्रशासन व संत समाज के समन्वय से कुंभ पर्व दिव्य, भव्य और अलौकिक होगा। उन्होंने कहा कि कोरोना का प्रकोप कम हुआ है, किंतु अभी पूरी तरह से समाप्त नहीं हुआ है। इसलिए कुंभ में आने वाले सभी श्रद्धालुओं को कोरोना गाइडलाइन का पालन करना चाहिए। स्वामी महेश्वरारनंद सरस्वती महाराज ने कहा कि गंगा जग की पालनहार है। मां गंगा की निर्मलता और अविरलता बनाए रखने के लिए सभी को मिलकर प्रयास करने चाहिए। उन्होंने कहा कि कुंभ में आने वाले श्रद्ालुओं को इस बात का विशेष ध्यान रखना होगा कि उनके किसी भी कृत्य से गंगा मैली न होने पाए। उन्होंने आशा व्यक्त कि मां गंगा व संतों के आशीर्वाद से कुंभ पर्व दिव्य व भव्य होगा। इससे पूर्व छावनी परिसर का कुंभ मेलाधिकारी दीपक रावत व अपर मेला अधिकारी हरबीर सिंह ने निरीक्षण कर व्यवस्थाएं शीघ्र ही पूर्ण कर लिए जाने का आश्वासन दिया। उन्होंने कहा कि अधिकांश मेला कार्य पूर्ण कर लिए गए हैं। समय पर सभी कार्य पूर्ण कर लिए जाएंगे। कुंभ गाइडलाइन के अनुसार होगा। इस अवसर पर महामंडलेश्वर स्वामी प्रेमानंद, महामंडलेश्वर स्वामी आनंद चेतन, महामंडलेश्वर स्वामी रामेश्वरानंद, स्वामी सूर्य मोहन, स्वामी महेश्वरानंद समेत अनेक संत मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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