हरिद्वार। कुंभ को लेकर अखाड़ों में गतिविधियां शुरू हो गयी हैं। शनिवार को निरंजनी अखाड़े में धर्मध्वजा की स्थापना की जाएगी। धर्मध्वजा की स्थापना के साथ ही अखाड़ों में कुंभ को लेकर धार्मिक गतिविधियां शुरू हो जाएंगी। सात सन्यासी अखाड़ों में सबसे पहले निरंजनी अखाड़े में धर्म ध्वजा की स्थापना की जाएगी। धर्मध्वजा की स्थापना को लेकर अखाड़े में तैयारियां की जा रही हैं। अखाड़े के संत महंतों ने सेफ पार्किंग में बनायी जा रही कुंभ मेला छावनी, जहां धर्मध्वजा स्थापित की जाएगी, का निरीक्षण कर तैयारियों को अंतिम रूप दिया। इस दौरान अपर मेला अधिकारी व मेला प्रशासन के अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। निरंजनी अखाड़े के सचिव व कुंभ मेला प्रभारी श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने बताया कि कुंभ मेले के दौरान स्थापित की जानी वाली धर्मध्वजा अखाड़ों के लिए सबसे महत्वपूर्ण होती है। अखाड़ों में धर्म ध्वजा स्थापित होने के बाद ही विधिवत रूप से कुंभ मेला शुरू होता है। धर्म ध्वजा के नीचे ही अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर द्वारा नागा सन्यासियों को संन्यास की दीक्षा दी जाती है। उन्होंने बताया कि दशनाम सन्यासी परम्परा में 52 मढ़ीयां हैं। जिसके प्रतीक के रूप में 52 फीट ऊंची धर्मध्वजा स्थापित की जाती है और उसमें 52 बंध लगाए जाते हैं। सबसे ऊपर भगवा झण्डा लगाया जाता है। निरंजनी अखाड़े की वर्षो से चली आ रही परंपरा के अनुसार धर्मध्वजा की स्थापना के समय श्रीमहंत मौजूद नहीं रहते हैं। निरंजनी अखाड़े के सचिव श्रीमहंत रामरतन गिरी महाराज ने बताया कि धर्मध्वजा की स्थापना के लिए सभी तैयारियां कर ली गयी हैं। इस दौरान अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज सहित अखाड़े के अनेक संत मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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