हरिद्वार। उत्तराखण्ड धर्म स्वतन्त्रता अधिनियम 2018 के सम्बन्ध में उत्तराखण्ड शासन, की अधिसूचना में उल्लिखित किया गया है कि ‘‘कोई व्यक्ति जो अपना धर्म परिवर्तन करने का इच्छुक है, वह कम से कम एक माह पूर्व जिला मजिस्ट्रेट या जिला मजिस्ट्रेट द्वारा विशेष रूप से प्राधिकृत कार्यपालक मजिस्ट्रेट के समक्ष विहित प्रारूप में यह उद्घोषणा करेगा कि वह स्वयं की इच्छा से अपना धर्म परिवर्तन करने का इच्छुक है और उसने अपनी स्वतन्त्र सहमति दी है तथा इसमें बल, प्रपीडन, असम्यक असर या प्रलोभन सम्मिलित नहीं है।’’धार्मिक पुजारी जो शुद्धता संस्कार या किसी धर्म से अन्य धर्म में किसी व्यक्ति के धर्म परिवर्तन के लिए समारोह प्रायोजित करेगा, उसकी सूचना विहित प्रारूप पर जिला मजिस्ट्रेट या उस जिले के जिला मजिस्टेªट द्वारा इस प्रयोजन के लिए नियुक्त किसी अधिकारी को, जहाँ ऐसा समारोह आयोजित किया जाना प्रस्तावित है, एक माह पूर्व देगा। जिला मजिस्ट्रेट उपधारा (1) और (2) के अधीन प्राप्त सूचना के पश्चात् उक्त प्रस्तावित धर्म परिवर्तन के वास्तविक आशय, प्रयोजन और कारण के सम्बन्ध में पुलिस के माध्यम से जांच सम्पादित करेगा। उपधारा (1) और/या उपधारा (2) के उल्लंघन में उक्त धर्म परिवर्तन का प्रभाव अवैध तथा शून्य होगा। जो कोई उपधारा (1) के उपबंधों का उल्लंघन करेगा, वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित होगा जो तीन माह से कम नहीं होगी किन्तु जो एक वर्ष तक की हो सकेगी और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।जो कोई उपधारा (2) के उपबंधो का उल्लंघन करेगा वह ऐसी अवधि के लिए कारावास से दण्डित होगा, जो छः माह से कम नहीं होगी, किन्तु जो दो वर्ष तक की हो सकेगी और वह जुर्माने के लिए भी दायी होगा।धर्म परिवर्तन के विभिन्न मामले मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष आ रहे हैं, जिनमें ऐसा प्रतीत होता है कि धर्म परिवर्तन कराने वाले पुजारी, पंडित, मौलवी, पादरी इत्यादि एवं आयोजकों को उत्तराखण्ड धर्म स्वतन्त्रता अधिनियम 2018 में दिये गये उपरोक्त प्राविधान की जानकारी नहीं है। जिलाधिकारी सी0 रविशंकर ने इस संबंध में ग्राम पंचायत स्तर पर पुलिस/राजस्व विभाग द्वारा संयुक्त बैठक कर उक्त अधिनियम की विस्तार से जानकारी देने, जिसमें क्षेत्रों में धर्म परिवर्तन कराने वाले पुजारियों, पादरियों, मौलवियों आदि को भी शामिल करने के निर्देश दिये। साथ ही सभी संबंधित अधिकारियों को अपने-अपने क्षेत्रान्तर्गत उत्तराखण्ड धर्म स्वतन्त्रता अधिनियम 2018 में निहित प्राविधानों का प्रचार-प्रसार करने के भी निर्देश दिये।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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