हरिद्वार। महाकुंभ के तीसरे शाही स्नान पर वैष्णव तीनों अनी अखाड़ों के संत राजसी वैभव के साथ रथ पर सवार होकर बैरागी कैंप से हर की पैड़ी स्नान के लिए निकले। सर्वप्रथम अखिल भारतीय श्रीपंच निर्मोही अनी अखाड़ा उसके बाद अखिल भारतीय श्रीपंच दिगंबर अनी अखाड़ा एवं तीसरे स्थान पर अखिल भारतीय श्रीपंच निर्वाणी अनी अखाड़े ने शाही स्नान किया। श्रद्धालु संगत को संबोधित करते हुए निर्मोही अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि अखाड़ों की गौरवशाली परंपरा से शाही स्नान का महत्व संपूर्ण संसार में प्रसारित होता है। देश दुनिया से आने वाले श्रद्धालु भक्त सनातन धर्म एवं भारतीय संस्कृति की अलौकिक छटा को देखकर अभीभूत होते हैं। कुंभ मेला भारतीय संस्कृति का शिखर उत्सव है। जो पूरे विश्व में धर्म की पताका को फहराती है। उन्होंने कहा कि शाही स्नान पर पतित पावनी मां गंगा में डुबकी लगाने मात्र से जन्म जन्मांतर के पापों का समान होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि पितरों का आशीर्वाद भी गंगा स्नान करने से व्यक्ति पर हमेशा बना रहता है। श्रीमहंत धर्मदास महाराज व श्रीमहंत कृष्णदास नगरिया महाराज ने कहा कि सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति के प्रमुख पर्व कुंभ मेले के दौरान संत महापुरूषों के मंथन से निकलने वाला धर्म संदेश पूरी दुनिया को आलोकित करता है। निर्मोही पीठाधीश्वर श्रीमहंत कनीराम दास बापू महाराज ने कहा कि गंगा स्नान के बाद कभी शरीर को पोंछना नहीं चाहिए। क्योंकि जितनी देर तक मां गंगा का जल शरीर पर रहेगा। उतना ही धर्म लाभ स्नानार्थी को प्राप्त होगा। महामंडलेश्वर सांवरिया बाबा महाराज ने कहा कि कुंभ मेले में शाही स्नान से व्यक्ति को अमरत्व की प्राप्ति होती है। दुनिया का सबसे बड़ा शांतिपूर्ण सम्मेलन कुंभ मेला आध्यात्मिक जागृति का प्रतीक है। अखिल भारतीय श्री पंच रामानंदी खाकी अखाड़ा के महंत मोहन दास खाकी महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सभी संस्कृतियों का संगम है और कल्पवासियों आगंतुकों एवं महत्वकांक्षीयो का एक समागम है। जो राष्ट्र में एकता और अखंडता को कायम रखता है। उन्होंने कहा कि कुंभ मेला मात्र एक पर्व ही नहीं बल्कि यह ज्ञान, तपस्या और भक्ति का अद्भुत समागम है। जिसमें राजसत्ता, धर्म सत्ता एवं समाज सत्ता तीनों का समावेश होता है। कुंभ मेले के दौरान पवित्र गंगा मां में आचमन मात्र से व्यक्ति मोक्ष की प्राप्ति कर लेता है। इस दौरान जगन्नाथ मंदिर के श्रीमहंत दिलीप दास महाराज, मुख्य ट्रस्टी महेद्र भाई झा, ज्ञान गंगा गऊशाला के महंत रामदास महाराज, महंत गौरीशंकर दास महाराज, महंत रासबिहारी दास काठियाबाबा, महंत फूलडोल दास, महंत रामजी दास, महंत रामकिशोर दास शास्त्री, महंत मोहन दास खाकी, महंत भगवान दास खाकी, महंत गौरी शंकर दास, महंत अनिरुद्ध दास, महंत मनीष दास, महंत रामदास, महंत रामशरण दास, महंत नरेंद्र दास, महंत महेश दास, महंत प्रेमदास, महंत लाल दास, महंत अगस्त दास, महंत मोहन दास, महंत विष्णु दास, बाबा हठयोगी, महंत रघुवीर दास, महंत रामदास, महंत पवनदास, महंत सनत कुमार दास मंहत महेश दास मंहत नरेन्द्र दास सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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