हरिद्वार। नागा सन्यासियों के सबसे बड़े अखाड़े श्रीपंच दशनाम जूना अखाडे में सोमवार को सभी चारो मढ़ियों चार,सोलह,तेरह व चैदह में दीक्षित होने वाले नागाओं का मुण्डन प्रक्रिया प्रातः आठ बजे से दुःखहरण हनुमान मन्दिर के निकट स्थित धर्म ध्वजा तणियों के नीचे प्रारम्भ होगी। मुण्डन के बाद सभी नागाओं के द्वारा अलकनंदा घाट पर गंगा स्नान किया जायेगा। तत्पश्चात सांसरिक वस्त्रों का त्याग कर कोपीन दंड,कंमडल धारण कर स्नान के लिए जायेगे। इस दौरान ब्राहण पण्डितो द्वारा सभी नागाओं का स्नान के दौरान स्वयं का श्राद्व कर्म सम्पन्न कराया जायेगा। यह जानकारी जूना अखाड़ा के अन्र्तराष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कि सोमवार को करीब एक हजार नागा सन्यासियों को दीक्षित करने की प्रक्रिया प्रारम्भ होगी। उन्होने बताया कि नागा सन्यास प्रक्रिया प्रारम्भ होने पर सबसे पहले सभी इच्छुक नागा सन्यासियो का मुण्डन प्रक्रिया प्रारम्भ होने के बाद सभी गंगा स्नान करेंगे। इस दौरान सन्यासी स्नान करते हुए जीतेजी अपना श्राद्व तपर्ण कर ब्राहण पण्डितों के मंत्रोच्चार के बीच करेंगे। इसके बाद वापस धर्मध्वजा की तृणियों के नीचे बिरजा होम में सभी सन्यासी भाग लेगे। प्रातः चार बजे अखाड़े के आचार्य महामण्डलेश्वर द्वारा प्रेयस मंत्र दिया जायेगा। प्रेयस मंत्र के बाद पुनः गंगा स्नान करने जायेगे,जहां पर उनका शिखा विच्छेदन किया जायेगा। श्रीमहंत मोहन भारती ने बताया कि हरिद्वार में बनने बाले नागा सन्यासी बर्फानी नागा कहलाते है,क्योंकि यह हिमालय क्षेत्र में पड़ता है। प्रातःकाल सभी सन्यासी पवित्र नदी तट पर पहुचकर स्नान कर सन्यास घारण करने का संकल्प लेते तथा गायत्री मंत्र के जाप के साथ सूर्य,चन्द्र,अग्नि,जल,वायु,पृथ्वी,दशो दिशाओं सभी देवी देवताओं को साक्षी मानते हुए स्वयं को सन्यासी घोषित कर जल में डुबकी लगायेंगे। तत्पश्चात आचार्य महामण्डलेश्वर द्वारा नव दीक्षित नागा सन्यासी को प्रेयस मंत्र प्रदान किया जायेगा।
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