हरिद्वार। निर्मल पीठाधीश्वर श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज वेदांताचार्य ने कहा कि संत महापुरूषों ने सदैव समाज का मार्गदर्शन कर देश को नई दिशा प्रदान की है। उक्त उद्गार श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने निर्मला छावनी में आयोजित गुजरात के नखतराणा के महंत जयराम हरि व अलखधाम के महंत दिव्यानंद हरि के पट्टाभिषेक समारोह की अध्यक्षता करते हुए व्यक्त किए। पट्टाभिषेक समारोह के दौरान सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने महंत जयराम हरि व महंत दिव्यानंद हरि को तिलक चादर भेंटकर महामण्डलेश्वर पद पर अभिषिक्त किया। श्रीमहंत ज्ञानदेव सिंह महाराज ने कहा कि कुंभ मेला सनातन धर्म व भारतीय संस्कृति का शिखर पर्व है। कुंभ मेले में पूरे देश से हरिद्वार के गंगा तट पर एकत्र होने वाले संत महापुरूषों के सानिध्य में होने वाले धार्मिक अनुष्ठान देश दुनिया को आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करते हैं। जिससे मानव कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। उन्होंने कहा कि कुंभ के पवित्र अवसर पर अखाड़े के महामण्डलेश्वर की पदवी प्राप्त करने वाले महंत जयराम हरि व महंत दिव्यानंद हरि विद्वान महापुरूष हैं। जिनके सानिध्य में सनातन धर्म व संस्कृति का संवर्द्धन व संरक्षण होगा तथा निर्मल अखाड़े की परंपरांओं को मजबूती मिलेगी। अखाड़े के कोठारी महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि महंत जयराम हरि व महंत दिव्यानंद हरि सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें देवभूमि उत्तराखण्ड व हरिद्वार की पवित्र भूमि पर निर्मल अखाड़े के महामण्डलेश्वर पद पर आसीन होने का गौरव प्राप्त हुआ है। महामण्डेश्वर स्वामी हरिचेतानन्द महाराज ने कहा कि सनातन संस्कृति देश दुनिया में अपनायी जा रही है। संत महापुरूष सनातन संस्कृति को विदेशों में प्रचारित प्रसारित कर रहे हैं। महंत रंजय सिंह महाराज ने कहा कि मानव सेवा ही सच्ची ईश्वर भक्ति के समान है। निस्वार्थ सेवा भाव से सेवा के प्रकल्प चलाए जाने चाहिए। उन्होंने कहा कि निर्धन परिवारों के उत्थान में सभी को मिलजुल कर प्रयास करने चाहिए। गरीब, असहाय परिवारों की कन्याओं के विवाह संस्कार में भी अपना योगदान करें। हिन्दू संस्कृति हमेशा ही देश दुनिया को प्रेरणा देती चली आ रही है। समाज उत्थान में संत महापुरूषों के योगदान की जितनी भी प्रशंसा की जाए उतना कम है। महंत देवेंद्र सिंह व महंत अमनदीप सिंह ने कहा कि संत परंपरांओं का निर्वहन ठीक रूप से किया जाना चाहिए। गंगा को प्रदूषण मुक्त करने के लिए समय समय पर संत समाज निर्णायक भूमिका निभा रहा है। गंगा हमारी आस्था का केंद्र बिन्दु है। नवनियुक्त महामण्डलेश्वर महंत जयराम हरि महाराज व महंत दिव्यानंद हरि महाराज ने श्री पंचायती अखाड़ा निर्मल व संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि संत महापुरूषों के सानिध्य में मानव कल्याण में योगदान व सनातन धर्म व संस्कृति का संरक्षण संवर्द्धन करेंगे। संत महापुरूष सदैव ही राष्ट्र निर्माण में अपनी भूमिका निभाते चले आ रहे हैं। महामण्डलेश्वर के रूप में जो जिम्मेदारी उन्हें दी गयी है। उसका निष्ठापूर्वक पालन करते हुए अखाड़े की परंपरांओं को मजबूत करेंगे। इस अवसर पर संत हरदेव सिंह महंत अजैब सिंह महंत भरत सिंह, महंत राजा सिंह, महंत दर्शन सिंह, महंत सतनाम सिंह, महंत मोहन सिंह, महंत तीरथ सिंह, महंत कमलदास, महंत निर्मलदास, महंत अरूणदास, गुरूचरण सिंह, जनरैल सिंह, हरचरण सिंह शास्त्री, समाजसेवी अतुल शर्मा आदि सहित बड़ी संख्या में संतजन मौजूद रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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