पवित्र छड़ी पहुची पौराणिक तुंगनाथ,तीर्थपुरोहितों ने की पूजा अर्चना
हरिद्वार, 29 अक्तूबर। जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी यात्रा गढ़वाल मण्डल में अन्तिम चरण में पहुच गयी है। बीती रात श्रीनगर में रात्रि विश्राम के पश्चात सबेरे गौरीकुण्ड से पूजा अर्चना के पश्चात अखाड़े के अन्र्तराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज की अगुवाई में साधुओं के जत्थे के साथ पौराणिक त्रिजुगीनारायण मन्दिर पहुची। जहां तीर्थपूरोहितों ने पूर्ण विधि विधान के साथ पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की तथा हजारों वर्षो से जल रहे हवनकुण्ड की परिक्रमा करायी। पौराणिक आख्यानों के अनुसार त्रिजुगी नारायण में स्वयं भगवान ब्रहमा ने पूरोहित बन कर भगवान शिव व पार्वती माता का विवाह कराया था। उस समय प्रज्जवलित किया गया हवन कुण्ड आज भी प्रज्जवलित है। यहां से पवित्र छड़ी लगभग 14 हजार मीटर की उचाई पर स्थित तृंगनाथ महादेव के दर्शनार्थ पहुची। लगभग 6 किलों मीटर की दुर्गम पहाड़ी चढाई के पश्चात साधुओं का जत्था श्रीमहंत प्रेमगिरि, छड़ी महंत श्रीमहंत पुष्कर गिरि, श्रीमहंत विशम्भर भारती, महंत रणधीर गिरि, महंत वशिष्ठ गिरि, आजाद गिरि, राज गिरि, आशुतोष गिरि, गौतम गिरि के नेतृत्व में तृंगनाथ मन्दिर पहुचा, जहां पर तीर्थ पूरोहितों ने पवित्र छड़ी की पूजा अर्चना की। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने बताया कि पौराणिक तीर्थ तृंगनाथ मन्दिर उत्तराखण्ड के पंच केदारों में से एक है। जहां भगवान शिव की बाह की पूजा की जाती है। उन्होने कहा प्रदेश सरकार द्वारा सनातन धर्मालम्बियों के इस प्रमुख तीर्थ को संरक्षित अभ्यारण घोषित किया जा रहा है। यदि ऐसा हुआ तो इस मन्दिर में श्रद्वालुओं का प्रवेश वर्जित हो जायेगा। जो कि हिन्दू धर्म की आस्था पर कुठाराघात है। यही नही इस पवित्र धाम से जुड़े हजारों परिवारों, घोड़े खच्चर वालों तथा व्यापारियांे की रोजी रोटी भी छिन जायेगी। उन्होने कहा जहां एक तरफ पलायन रोकने की बात सरकार कह रही है, वही तृंगनाथ मन्दिर को संरक्षित अभ्यारण घोषित कर हजारों लोगों को पलायन के लिए मजबूर कर रही है। श्रीमहंत प्रेमगिरि महाराज ने कहा कि प्रदेश सरकार से समस्त संत, अखाड़े व धार्मिक संगठन माॅग करते है कि इस पर रोक लगायी जाये। तुंगनाथ मन्दिर पहुचने पर तहसीलदार दीवान सिंह राणा, पटवारी सतीश भटट्, व्यापार मण्डल नगर अध्यक्ष भूपेन्द्र मैठानी व स्थानीय व्यापारियों ने पवित्र छड़ी की अगवानी की तथा पूजा अर्चना कर संतो का आर्शीवाद प्राप्त किया। पवित्र छड़ी यहां से रात्रि विश्राम के लिए पीपलकोटी पहुची।
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