हरिद्वार। भारत के महामहिम राष्ट्रपति रामनाथ कोविन्द २९ नवंबर को अखिल विश्व गायत्री परिवार के मुख्यालय में स्वर्ण जयंति वर्ष के अवसर पर शांतिकुंज व देसंविवि पधार रहे हैं। देव संस्कृति विश्वविद्यालय पहुंचने पर कुलाधिपति डॉ. प्रणव पण्ड्या, प्रतिकुलपति डॉ. चिन्मय पण्ड्या एवं कुलपति श्री शरद पारधी द्वारा राष्ट्रपति का स्वागत अभिनन्दन किया जाएगा। देव संस्कृति विश्वविद्यालय प्रांगण में स्थित प्रज्ञेश्वर महादेव मन्दिर में भगवान शिव की पूजा-अर्चना एवं आरती के पश्चात मृत्युंजय सभागार में देसंविवि के प्रमुख पदाधिकारियों एवं आचार्यों के साथ समूह छायाचित्र का कार्यक्रम संपन्न होगा। राष्ट्रपति द्वारा देसंविवि में स्थित एशिया के प्रथम बाल्टिक सांस्कृतिक अध्ययन केन्द्र का अवलोकन किया जाएगा। राष्ट्रपति द्वारा देसंविवि प्रांगण में स्मृति स्वरूप रुद्राक्ष का पौधा लगाया जाएगा। राष्ट्रपति देव संस्कृति विश्वविद्यालय भ्रमण कर यहां के मूल्यपरक शिक्षण, योग-आयुर्वेद, अनुसंधान, स्वावलंबन एवं विभिन्न रचनात्मक व शैक्षणिक गतिविधियों से अवगत होंगे। तत्पश्चात वे गायत्री तीर्थ शांतिकुंज पहुंचेंगे। वहां युगऋषि पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा जी के पवित्र पावन कक्ष का दर्शन करेंगे, जिस स्थान पर युगऋषि ने विश्व मानवता के लिए साधना एवं साहित्य सृजन का महत्वपूर्ण कार्य संपन्न किया था। पूज्य गुरुदेव द्वारा १९२६ से प्रज्जवलित अखण्ड दीपक का दर्शन करेंगे जिस के समक्ष युगऋषि ने गायत्री महामंत्र के २४-२४ लाख के २४ महापुरश्चरण २४ साल तक अनवरत संपन्न किये। यह अखण्ड दीपक गायत्री परिजनों के श्रद्धा का केन्द्र है। शांतिकुंज आगमन पर गायत्री परिवार प्रमुखद्वय डॉ. प्रणव पण्ड्या एवं श्रद्धेया शैलदीदी द्वारा राष्ट्रपति शांतिकुंज स्वर्ण जयंति वर्ष में स्वागत अभिनंदन एवं भेंटवार्ता किया जाएगा।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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