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सरकार धार्मिक स्थलों की व्यवस्थापक हो सकती है प्रबंधन नहीं-स्वामी अच्यूतानंद तीर्थ

 


हरिद्वार। संत समाज द्वारा देशभर में चलाए जा रहे मठ मंदिर मुक्ति आंदोलन का भूमा पीठाधीश्वर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने समर्थन किया है। भूपतवाला स्थित भूमानंद आश्रम में प्रेस को जारी बयान में स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने कहा कि किसी भी धार्मिक स्थल अथवा मठ मंदिर पर सरकार का नियंत्रण होना धर्म के प्रति सरकार की उदासीनता को दर्शाता है। सरकार किसी भी धार्मिक स्थल की व्यवस्थापक तो हो सकती है परंतु प्रबंधक नहीं। धर्माचार्य और धर्म गुरु ही धार्मिक स्थलों का सही ढंग से संचालन कर सकते हैं। सरकार को मठ मंदिर अधिग्रहण करने की बजाए वहां की बेहतर व्यवस्था पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंदू समाज की कमजोरी के कारण सरकारों द्वारा मठ मंदिरों को अपने कब्जे में लिया जा रहा है। जिसके विरोध में आम लोगों को भी आवाज उठानी चाहिए। उन्होंने कहा कि सरकार मात्र हिंदू धर्म स्थलों को निशाना बना रही है। जिसे संत समाज कतई बर्दाश्त नहीं करेगा। उन्होंने कहा कि पूरे देश में मठ मंदिर आश्रम अखाड़ों की मुक्ति के लिए केंद्र सरकार को कड़ा कानून बनाना चाहिए। जिससे भविष्य में किसी भी मठ मंदिर आश्रम अखाड़ों पर सरकार का नियंत्रण ना हो सके और बेहतर रूप से वहां की व्यवस्थाएं संचालित हो सकें। उत्तराखंड सरकार द्वारा देवस्थानम बोर्ड रद्द ना किए जाने पर स्वामी अच्युतानंद तीर्थ महाराज ने सरकार की मंशा पर सवाल खड़े करते हुए कहा कि देवस्थानम बोर्ड को लेकर सरकार अपनी स्थिति स्पष्ट करे। लंबे समय से ब्राह्मण और संत समाज देवस्थानम बोर्ड को भंग करने की मांग कर रहा है। लेकिन धर्म विरोधी सरकार अपना रुख साफ नहीं कर रही है। जिसका खामियाजा उन्हें आगामी चुनाव में उठाना होगा। देवस्थान बोर्ड को रद्द करने के बाद सरकार को चारों धामों के बेहतर व्यवस्था को दुरुस्त करना चाहिए। साथ ही वहां पर ड्रेस कोड भी लागू होना चाहिए। धर्म एवं संस्कृति से जुड़े नियमों को सभी को मानना चाहिए। बद्रीनाथ, केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री से जुड़े धर्म अधिकारियों को अपने वस्त्रों पर नियंत्रण रखना चाहिए। सरकार को क्षतिग्रस्त एवं दुर्गम अवस्था में पडे मठ मंदिर, आश्रम, अखाड़ों का जीर्णोद्धार कर धर्म की रक्षा के लिए आगे आना चाहिए। तभी राष्ट्रीय एकता और अखंडता को कायम रखा जा सकता है।


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