हरिद्वार। धर्म संसद को लेकर बनी कोर कमेटी के सदस्यों ने हरिद्वार के वरिष्ठ संतों से मिलकर समर्थन जुटाना शुरू कर दिया है। बुधवार को कमेटी के सदस्यों में महामंडलेश्वर डॉ अन्नपूर्णा भारती, स्वामी अमृतानंद ने महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी, स्वामी बलराम मुनि के साथ जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी राजराजेश्वराश्रम, भूमापीठाधीश्वर अच्युतानंद तीर्थ तथा अन्य वरिष्ठ संतों से मिलकर धर्म संसद पर उठे विवाद पर अपना पक्ष रखा। महामंडलेश्वर यति नरसिंहानंद गिरी ने वरिष्ठ संतों को बताया कि धर्म संसद का उद्देश्य केवल जिहाद से सनातन धर्म और हिन्दू समाज को बचाना है। यह कार्य अगर संत नहीं करेंगे तो कौन करेगा? संतों का पक्ष जानने के बाद भूमापीठाधीश्वर अच्युतानंद तीर्थ ने उन्हें पूर्ण समर्थन देते हुए कहा कि वास्तव में आज पूरे विश्व में हम हिन्दू ही सबसे ज्यादा पीड़ित हैं। अब हिन्दू नौजवान जाग रहे हैं और वो आगे बढ़कर धर्म और राष्ट्र की रक्षा करने में सक्षम हैं। जगद्गुरु शंकराचार्य राजराजेश्वराश्रम ने कहा कि विश्व के प्रत्येक जीव को आत्मरक्षा का अधिकार है। अगर हिन्दू आत्मरक्षा का प्रयास कर रहे हैं तो इसका स्वागत किया जाना चाहिए। यति नरसिंहानंद गिरी ने वरिष्ठ संतों को बताया कि भविष्य में धर्म संसद के सुचारू संचालन के लिये महामंडलेश्वर यतींद्रानंद गिरी के संरक्षण और महामंडलेश्वर प्रबोधानंद गिरी की अध्यक्षता में एक संचालन समिति बनाई गई है। जिसके संयोजक स्वामी आनंदस्वरूप हैं। उन्होंने कहा कि इस संचालन समिति के बनने से उनका कार्य अब बहुत आसान हो गया है। अब वो संत समाज की मजबूती और हिन्दू समाज की जागृति के लिये एक विश्वव्यापी संगठन बनाने की दिशा में कार्य करेंगे जो जमीन पर ठोस कार्य करेगा। संतों की यह टोली निरंजनी अखाड़े के आचार्य महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरी से भी मिलने गयी थी। लेकिन उनके कहीं बाहर गए होने के कारण उनसे मुलाकात नहीं हो सकी।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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