हरिद्वार। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर चिन्मय डिग्री कॉलेज के एमएससी के छात्र छात्राओं ने विभिन्न साइंस मॉडल की प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शन का अवलोकन भेल हरिद्वार के कार्यकारी निदेशक प्रवीण चंद्र झा ने किया। कार्यक्रम का आरंभ भेल की प्रथम महिला सुलेखा झा, नीता दवे, साधना सचदेवा ने दीप प्रज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे भेल के कार्यकारी निदेशक प्रवीण चंद्र झा ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप में से ही कोई वैज्ञानिक रमन की तरह आगे उभर कर आएगा। प्रवीण चंद्र झा ने कहा की भेल में भारत के सबसे ज्यादा सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी द्वारा जनरेटर बनाए जा रहे हैं। कार्बन फुटप्रिंट कम करने का जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास चल रहा है उसमें भेल का अहम योगदान है। भेल के मानव संसाधन विभाग के महाप्रबंधक नीरज दवे ने अपने उद्बोधन में चिन्मय डिग्री कॉलेज की सराहना करते हुए कहा कि यह कॉलेज स्वामी चिन्मयानंद के आदर्शों को आत्मसात करते हुए छात्र-छात्राओं में आधुनिक विज्ञान द्वारा नए प्रयोग करने मैं निरंतर प्रयासरत है। पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर आमोद चैधरी ने कहां कि हमारे ऋषि मुनि सबसे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने डार्विन से कई हजार वर्ष पूर्व हमारे 10 अवतार के माध्यम से थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन बता दी थी जिससे मत्स्य अवतार से लेकर भगवान राम और कृष्ण की बात कही जाती है। चिन्मय प्रबंधक समिति के अध्यक्ष कर्नल राकेश सचदेवा ने कॉलेज की विभिन्न गतिविधियों को अतिथियों से परिचित कराया एवं छात्र सार्थक के वक्तव्य की सराहना करते हुए सभी छात्रों को जीवन में वैज्ञानिक अप्रोच अपनाने के लिए कहा। चिन्मय डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर अजय कुमार ने इस वर्ष के विज्ञान दिवस के थीम पर अपना वक्तव्य रखा जिसमें उन्होंने बतलाया कि साइंस और टेक्नोलॉजी से ही किसी भी देश का विकास संभव है.उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में वैक्सीन बनाकर कोविड-19 महामारी को कंट्रोल करना भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी का एक जीता जागता उदाहरण है। डॉ स्वाति शुक्ला ने भारतीय संविधान में वैज्ञानिक नीति एवं उसका बदलता स्वरूप प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मनीषा ने किया। कार्यक्रम का आगाज सरस्वती वंदना से हुआ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर आलोक अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। एमएससी के छात्र-छात्राओं ने 7 साइंस मॉडल प्रस्तुत किए जिनमें प्रथम तीन श्रेणी में केमिस्ट्री, फिजिक्स और माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट चयनित हुए. फिजिक्स का लाईफाई प्रोजेक्ट को बहुत सराहना मिली जिसके माध्यम से छात्रा काजल एवं मयंक ने नेत्रहीन लोगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट पिक प्रोजेक्ट बनाया था यह स्पेशल छड़ी रोशनी, पानी और आग की तीव्रता को पहचान कर वहां से नेत्रहीन को हटने के लिए संकेत प्रदान करती है। वनस्पति तेल से बायोडीजल बनाने का प्रोजेक्ट प्रथम चयनित हुआ. छात्रा सुरभि द्वारा प्लास्टो स्कोप बनाया गया जिससे 450 गुना बड़ा करके छात्र अपने घर पर प्रयोग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। बीएचईएल के कार्यकारी निदेशक प्रवीण चंद्र झा द्वारा छात्रों को प्रमाण पत्र दिए गए। कार्यक्रम में कॉलेज के प्राध्यापकों सहित एसएफएस के डायरेक्टर वैष्णो दास शर्मा, चिन्मय प्रबंध समिति से लवलीना मोदी साधना सचदेवा,डॉ राधिका नागरथ एवं बी एच ई एल के मानव संसाधन विकास विभाग के अपर महाप्रबंधक पंकज श्रीवास्तव,बीएचईएल के संचार एवं जनसंपर्क विभाग के अपर महाप्रबंधक राकेश मानिकतला, उप महाप्रबंधक अजीत अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
हरिद्वार। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के मौके पर चिन्मय डिग्री कॉलेज के एमएससी के छात्र छात्राओं ने विभिन्न साइंस मॉडल की प्रदर्शनी लगाई। प्रदर्शन का अवलोकन भेल हरिद्वार के कार्यकारी निदेशक प्रवीण चंद्र झा ने किया। कार्यक्रम का आरंभ भेल की प्रथम महिला सुलेखा झा, नीता दवे, साधना सचदेवा ने दीप प्रज्वलन कर किया। मुख्य अतिथि के रूप में पधारे भेल के कार्यकारी निदेशक प्रवीण चंद्र झा ने छात्रों को प्रोत्साहित करते हुए कहा कि आप में से ही कोई वैज्ञानिक रमन की तरह आगे उभर कर आएगा। प्रवीण चंद्र झा ने कहा की भेल में भारत के सबसे ज्यादा सुपरक्रिटिकल टेक्नोलॉजी द्वारा जनरेटर बनाए जा रहे हैं। कार्बन फुटप्रिंट कम करने का जो अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रयास चल रहा है उसमें भेल का अहम योगदान है। भेल के मानव संसाधन विभाग के महाप्रबंधक नीरज दवे ने अपने उद्बोधन में चिन्मय डिग्री कॉलेज की सराहना करते हुए कहा कि यह कॉलेज स्वामी चिन्मयानंद के आदर्शों को आत्मसात करते हुए छात्र-छात्राओं में आधुनिक विज्ञान द्वारा नए प्रयोग करने मैं निरंतर प्रयासरत है। पूर्व सैनिक कल्याण अधिकारी कमांडर आमोद चैधरी ने कहां कि हमारे ऋषि मुनि सबसे पहले वैज्ञानिक थे जिन्होंने डार्विन से कई हजार वर्ष पूर्व हमारे 10 अवतार के माध्यम से थ्योरी ऑफ इवोल्यूशन बता दी थी जिससे मत्स्य अवतार से लेकर भगवान राम और कृष्ण की बात कही जाती है। चिन्मय प्रबंधक समिति के अध्यक्ष कर्नल राकेश सचदेवा ने कॉलेज की विभिन्न गतिविधियों को अतिथियों से परिचित कराया एवं छात्र सार्थक के वक्तव्य की सराहना करते हुए सभी छात्रों को जीवन में वैज्ञानिक अप्रोच अपनाने के लिए कहा। चिन्मय डिग्री कॉलेज के प्रोफेसर अजय कुमार ने इस वर्ष के विज्ञान दिवस के थीम पर अपना वक्तव्य रखा जिसमें उन्होंने बतलाया कि साइंस और टेक्नोलॉजी से ही किसी भी देश का विकास संभव है.उन्होंने कहा कि चिकित्सा के क्षेत्र में वैक्सीन बनाकर कोविड-19 महामारी को कंट्रोल करना भी विज्ञान और टेक्नोलॉजी का एक जीता जागता उदाहरण है। डॉ स्वाति शुक्ला ने भारतीय संविधान में वैज्ञानिक नीति एवं उसका बदलता स्वरूप प्रस्तुत किया। कार्यक्रम का संचालन डॉक्टर मनीषा ने किया। कार्यक्रम का आगाज सरस्वती वंदना से हुआ कॉलेज के प्रिंसिपल डॉक्टर आलोक अग्रवाल ने पुष्पगुच्छ से अतिथियों का स्वागत एवं धन्यवाद ज्ञापन किया। एमएससी के छात्र-छात्राओं ने 7 साइंस मॉडल प्रस्तुत किए जिनमें प्रथम तीन श्रेणी में केमिस्ट्री, फिजिक्स और माइक्रोबायोलॉजी डिपार्टमेंट चयनित हुए. फिजिक्स का लाईफाई प्रोजेक्ट को बहुत सराहना मिली जिसके माध्यम से छात्रा काजल एवं मयंक ने नेत्रहीन लोगों के लिए इलेक्ट्रॉनिक स्मार्ट पिक प्रोजेक्ट बनाया था यह स्पेशल छड़ी रोशनी, पानी और आग की तीव्रता को पहचान कर वहां से नेत्रहीन को हटने के लिए संकेत प्रदान करती है। वनस्पति तेल से बायोडीजल बनाने का प्रोजेक्ट प्रथम चयनित हुआ. छात्रा सुरभि द्वारा प्लास्टो स्कोप बनाया गया जिससे 450 गुना बड़ा करके छात्र अपने घर पर प्रयोग के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं। बीएचईएल के कार्यकारी निदेशक प्रवीण चंद्र झा द्वारा छात्रों को प्रमाण पत्र दिए गए। कार्यक्रम में कॉलेज के प्राध्यापकों सहित एसएफएस के डायरेक्टर वैष्णो दास शर्मा, चिन्मय प्रबंध समिति से लवलीना मोदी साधना सचदेवा,डॉ राधिका नागरथ एवं बी एच ई एल के मानव संसाधन विकास विभाग के अपर महाप्रबंधक पंकज श्रीवास्तव,बीएचईएल के संचार एवं जनसंपर्क विभाग के अपर महाप्रबंधक राकेश मानिकतला, उप महाप्रबंधक अजीत अग्रवाल आदि उपस्थित थे।
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