हरिद्वार। इएमए द्वारा बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिकल साइंस एंड कैंसर रिसर्च सेंटर ज्वालापुर के सभागार में आयोजित दो दिवसीय एडवांस मेडिसिन तथा एडवांस डिजीज व एडवांस डायग्नोसिस प्रशिक्षण शिविर का सोमवार को समापन हो गया। प्रशिक्षण दे रहे बायोम फार्मा की कैंसर रिसर्च यूनिट के डायरेक्टर डा.नीलेश थावरे ने कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी सपेजरिक औषधीयां जटिल बीमारियों सहित नये व पुराने सभी रोगो को समूल नष्ट करती है, क्योंकि बीमारी में शरीर के अंग की कोशिकाएं विकृत हो जाती है और ये मेडिसिन उन कोशिकाओं में प्रवेश कर उनकी स्टीमुलेटिंग पावर को बढ़ा कर उन्हें जीवन प्रदान करती है। इन मेडिसिन का कोई साईड इफेक्ट नही है। यें औषधियां प्राकृतिक एवं विशुद्ध होती हैं। इस सिस्टम की सपेजरिक मेडिसिन की विशेषता यह है कि ये वनस्पति से तैयार की जाती है और इसका बेस आसुत जल होता है। आइरिडोलोजिस्ट डा.वीएल अलखनिया ने एडवांस डायग्नोसिस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी का निदान आइरिस एनालाइसिस सभी शारीरिक अंगों की क्रियाविधि को दर्शाता है न कि उनकी फोटो जैसे अन्य माडर्न निदान मे होता है। आइरिस एनालाइसिस निदान शारीरिक अंगों में विकृति आने से पहले ही उसके हेल्दी अनहेल्दी स्टेटस को ज्ञात करा देता है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि इस निदान मे बिना रक्त की जांच किए बिना ही ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम, विटामिन, सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी या अधिकता एवं व्यक्ति का डोमिनैंस का मालूमात होता है। इस डायग्नोसिस से यह भी ज्ञात होता है कि शरीर में होने वाला रोग अनुवांशिक है अथवा नही। इस निदान का कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नही पड़ता है। प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर इएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.केपीएस चैहान ने कहा कि प्राकृतिक, दुष्प्रभाव रहित इलेक्ट्रोहोम्योपैथी औषधीयों से रोगियों की चिकित्सा करे और रोगियों को जीवनीय शक्ति प्रदान करने के साथ ही स्वयं को एक प्राकृतिक चिकित्सक के रुप में स्थापित करने का प्रयास करें।
हरिद्वार। इएमए द्वारा बालाजी इंस्टीट्यूट ऑफ अल्टरनेटिव मेडिकल साइंस एंड कैंसर रिसर्च सेंटर ज्वालापुर के सभागार में आयोजित दो दिवसीय एडवांस मेडिसिन तथा एडवांस डिजीज व एडवांस डायग्नोसिस प्रशिक्षण शिविर का सोमवार को समापन हो गया। प्रशिक्षण दे रहे बायोम फार्मा की कैंसर रिसर्च यूनिट के डायरेक्टर डा.नीलेश थावरे ने कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी सपेजरिक औषधीयां जटिल बीमारियों सहित नये व पुराने सभी रोगो को समूल नष्ट करती है, क्योंकि बीमारी में शरीर के अंग की कोशिकाएं विकृत हो जाती है और ये मेडिसिन उन कोशिकाओं में प्रवेश कर उनकी स्टीमुलेटिंग पावर को बढ़ा कर उन्हें जीवन प्रदान करती है। इन मेडिसिन का कोई साईड इफेक्ट नही है। यें औषधियां प्राकृतिक एवं विशुद्ध होती हैं। इस सिस्टम की सपेजरिक मेडिसिन की विशेषता यह है कि ये वनस्पति से तैयार की जाती है और इसका बेस आसुत जल होता है। आइरिडोलोजिस्ट डा.वीएल अलखनिया ने एडवांस डायग्नोसिस पर प्रकाश डालते हुए कहा कि इलेक्ट्रोहोम्योपैथी का निदान आइरिस एनालाइसिस सभी शारीरिक अंगों की क्रियाविधि को दर्शाता है न कि उनकी फोटो जैसे अन्य माडर्न निदान मे होता है। आइरिस एनालाइसिस निदान शारीरिक अंगों में विकृति आने से पहले ही उसके हेल्दी अनहेल्दी स्टेटस को ज्ञात करा देता है। इसकी एक विशेषता यह भी है कि इस निदान मे बिना रक्त की जांच किए बिना ही ब्लड शुगर, कोलेस्ट्रॉल, कैल्शियम, विटामिन, सूक्ष्म पौषक तत्वों की कमी या अधिकता एवं व्यक्ति का डोमिनैंस का मालूमात होता है। इस डायग्नोसिस से यह भी ज्ञात होता है कि शरीर में होने वाला रोग अनुवांशिक है अथवा नही। इस निदान का कोई दुष्प्रभाव शरीर पर नही पड़ता है। प्रशिक्षण शिविर के समापन अवसर पर इएमए के राष्ट्रीय अध्यक्ष डा.केपीएस चैहान ने कहा कि प्राकृतिक, दुष्प्रभाव रहित इलेक्ट्रोहोम्योपैथी औषधीयों से रोगियों की चिकित्सा करे और रोगियों को जीवनीय शक्ति प्रदान करने के साथ ही स्वयं को एक प्राकृतिक चिकित्सक के रुप में स्थापित करने का प्रयास करें।
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