हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय में ‘मानस गुरुकुल विषय राम कथा में मोरारी बापू ने गीता को केंद्र में रखते हुए कहा कि वैसे तो सात गीता हैं किन्तु रामचरित मानस में पंचगीता का उल्लेख है। रामचरित मानस का पहला अध्याय ही गुरुगीता है। उसके उपरांत निषाद गीता, लक्ष्मण गीता, अनुसूया गीता और भुसुण्डी गीता आते हैं। उन्होंने कहा कि युद्ध से न तो रामायण में कोई समाधान या उपाय है न ही महाभारत में। जगत के विश्राम के लिए एकमात्र उपाय है ‘बुद्धत्व। युद्ध के लिए नहीं जाना है, बुद्धत्व को जानने के लिए जाना है। मारना कोई हल नहीं है, तारणे से समस्या हल होती है। बापू ने कहा की भरत ने कभी युद्ध नहीं किया किन्तु लक्ष्मण शक्ति के समय जब हनुमान संजीवनी लेकर अयोध्या के ऊपर से गुजर रहे थे। तो उन्होंने भी भय से आक्रांत होकर बाण चढ़ा लिया था। कथा के बीच मोरारी बापू ने भगवान शिव के विवाह का वर्णन किया। माता पार्वती के विषय में उन्होंने कहा कि नारी जैसा गुरु होगा तभी शंका दूर होगी। कार्यक्रम में ज्ञानानंद ने व्यासपीठ को प्रणाम करते हुए कहा कि वैसे तो रामकथा कहीं पर भी, कभी भी, किसी के भी मुख से सुनी जाए तो लाभ ही देगी। परंतु हरिद्वार की पावन धरा पर मां गंगा के पावन तट पर, जिस जगह भारतीय परंपराओं को हर प्रकार से उन्नयन, सम्मान मिलता हो,भारतीयता व राष्ट्रीयता गौरवांवित होती हो। पतंजलि विश्वविद्यालय की संकायाध्यक्षा आचार्या साध्वी देवप्रिया ने कहा कि पतंजलि गुरुकुल के भाई-बहन तो पवित्रता से जीते ही हैंपरन्तु आज जहां कई विश्वविद्यालयों में नशा, वासना, भोगों की आंधी सी चल रही है। वहां पतंजलि विश्वविद्यालय के छात्र-छात्राएं भी गुरुकुलीय परंपरा में सुबह पांच बजे से उठकर योग, यज्ञ, पढ़ाई से पूरा पवित्रता का जीवन जीते हैं। इस दौरान सतुआ बाबा, ऋतम्भरा,एनपी सिंह, प्रो.महावीर अग्रवाल, प्रवीण पूनीया,डॉ. निर्विकार,एनसी शर्मा, अंशुल,पारूल,स्वामी परमार्थ देव,राकेश कुमार,प्रो.अनिल यादव,प्रो. केएनएस यादव, प्रो. वीके कटियार व वीसी पाण्डेय आदि शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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