गेंडी खाता स्थित गुरुद्वारा में बैठक कर संतों ने आगे की रणनीति पर की चर्चा
हरिद्वार। पंचायती अखाड़ा निर्मला का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। लालढांग में गेंडीखाता स्थित बोली सागर गुरुद्वारा में गुरुवार को निर्मल भेख के संतों की बैठक आयोजित की गई। जिसमें 10 जुलाई को अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार से मुलाकात के दौरान मिले आश्वासन के बाद आगे की रणनीति पर चर्चा की गई। जत्थेदार के आश्वासन के बाद प्रशासन को दिए गए अल्टीमेटम पर की जाने वाली कार्रवाई को डेढ़ महीने के लिए स्थगित करने का निर्णय लिया गया। बैठक को संबोधित करते हुए पंचायती अखाड़ा निर्मला के अध्यक्ष श्रीमहंत रेशम सिंह ने कहा कि 10 जुलाई को उनके नेतृत्व में निर्मल भेख के साधु-महंतों का एक प्रतिनिधिमंडल पंचायती अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत रेशम सिंह के नेतृत्व में हिन्दू धर्म के धर्म गुरु आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशाहनंद गिरी, अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद एवं मां मनसा देवी मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी, महंत भगत राम अध्यक्ष नया अखाड़ा उदासीन के साथ श्री अकाल तख्त साहिब अमृतसर के बुलावे पर जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह से मिले। उनसे भारत वर्ष में पैदा हुई कुरीतियों और पंचायती अखाड़ा निर्मला के विवाद संबंधी विचार किया गया। उन्होंने बताया कि अखाड़े के मुद्दे पर गंभीरता से विचार करने के बाद जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने संतों-महंतों से सभी कुरीतियों को दूर करने के लिए आगे आने की अपील की है। साथ ही भारत के अच्छे भविष्य के लिए एक-दूजे का सहयोग करने के साथ ही अखाड़े के मुद्दे को सुलझाने के लिए शांति बनाए रखने का भरोसा दिलाया है। अखाड़े की मुद्दे का समाधान डेढ़ महीने के अंदर करने का भरोसा दिलाया है। साथ ही बैठक के उपरान्त ज्ञानी हरप्रीत सिंह की ओर से जथेदार निर्मल भेख और हिन्दू धर्म के धर्म-गुरुओं को सम्मानित किया। बैठक में सभी साधु संतों ने श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार के प्रयास की सराहना की। श्रीमहंत रेशम सिंह ने बताया कि श्री अकाल तख्त साहिब जत्थेदार की अपील पर निर्मल भेख ने प्रशासन को दिए अल्टीमेटम पर पुनर्विचार के बाद छह जुलाई के बाद की जाने वाली कार्रवाई को डेढ़ महीने के लिए स्थगित कर दिया है। बैठक में उपस्थित महंत श्याम सुंदर सिंह,महंत जुगराज सिंह लोपों,महंत चमकौर सिंह लोहग्रह,महंत अमरीक सिंह वेद,कोठरी महंत गोपाल सिंह,सचिव महंत जगतार सिंह,महंत भूपेंद्र सिंह।
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