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शांतिकुंज में आयोजित राष्ट्रीय सक्रिय महिला कार्यकर्त्ता शिविर का तीसरा दिन

सफल होना हो, तो जीवन को करें परिष्कृत: शैफाली पण्ड्या


 हरिद्वार। गायत्री तीर्थ शांतिकुंज चल रहे राष्ट्रीय सक्रिय महिला कार्यकर्त्ता शिविर के सातवें सत्र को संबोधित करते हुए गायत्री विद्यापीठ व्यवस्था मण्डल की प्रमुख श्रीमती शैफाली पण्ड्या ने कहा कि यदि आप किसी विशेष क्षेत्र में सफल होना चाहते हैं, जो तदनुरूप साधना करनी चाहिए और व्यक्तित्व को उसी अनुरूप ढालना, विकसित करना चाहिए। जब विद्यार्थी पढ़ाई में, साधक साधना में, डॉक्टर्स चिकित्सा के क्षेत्र में पूर्ण मनोयोग से साथ जुट जाता है, तभी वे सफल होते हैं। इसी तरह महिलाओं के चहुुंमुखी विकास के लिए बहिनों के बीच जाकर मनोयोगपूर्वक कार्य करने होंगे। श्रीमती पण्ड्या ने कहा कि यदि आप निःस्वार्थ भाव से कार्य के प्रति अटूट श्रद्धा, परिष्कृत जीवन और ऊँची सोच के साथ आगे बढ़ते हैं, तो भगवान की विशेष कृपा, उनका संरक्षण और मार्गदर्शन अवश्य मिलता है। उन्होंने कहा कि गायत्री परिवार की संस्थापिका माता भगवती देवी शर्मा ने शांतिकुंज में सन् १९७५ से ही नारी जागरण शिविरों का विधिवत संचालन प्रारंभ कर दिया था और उन्होंने समाज विकास में नारी की भूमिका को रेखांकित किया था। उन्होंने कहा कि वंदनीया माताजी ने जो दायित्व हम सभी को सौंपा है,उसे पूरा करने के लिए तन, मन धन से जुट जाने का यही सही अवसर है। उन्होंने कहा कि विकसित,सुशिक्षित, संस्कारी बहिनों की समूह बनाने का जो परम वंदनीया माता जी का सपना था, उसे पूरा कर सकें, यही उनके प्रति हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। श्रीमती पण्ड्या ने संस्कृतिनिष्ठ नारी, ऋषिकाओं आदि उल्लेख करते हुए महिला जागृति की दिशाधारा पर विस्तार से प्रकाश डाला। साथ ही उन्होंने गायत्री परिवार के संस्थापकद्वय पं. श्रीराम शर्मा आचार्य एवं माता भगवती देवी शर्मा के व्यक्तित्व एवं कर्तृत्व को याद करते हुए उनके बताये सूत्रों को आत्मसात करने के लिए प्रेरित किया। इस अवसर पर डॉ गोपाल शर्मा ने घर घर अलख जगाने के लिए सत्साहित्य को समाज के प्रत्येक व्यक्तित्व तक पहुंचाने के लिए आवाहन किया। सातवें सत्र का मंच संचालन श्याम बिहारी दुबे ने किया। इससे पूर्व प्रतिभागियों को संबोधित करते हुए देसंविवि के कुलपति शरद पारधी ने वंदनीया माताजी के शताब्दी वर्ष एवं हमारे दायित्व विषय पर विस्तृत प्रकाश डाला। प्रो प्रमोद भटनागर ने कार्यक्रमों का स्वरूप एवं भागीदारी पर विस्तार से जानकारी दी। शिविर समन्यवक के अनुसार इस शिविर में ओडिशा,मप्र,महाराष्ट्र,उप्र,छत्तीसगढ़,पश्चिम बंगाल,उत्तराखण्ड,दिल्ली सहित दस राज्यों एवं नेपाल से आई करीब तीन हजार बहिनें शामिल है।


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