छःमासीय पाठ्यक्रम के तीन कोर्स के नवप्रवेशी विद्यार्थी हुए दीक्षित
सच्चरित्रवानों को ही अपना आदर्श मानें युवा: डॉ पण्ड्या
हरिद्वार।देवसंस्कृति विश्वविद्यालय शांतिकुंज का ४१वाँ ज्ञानदीक्षा समारोह वर्चुअल सम्पन्न हुआ। छःमासीय सर्टिफिकेट एवं डिप्लोमा कोर्स के नवप्रवेशी विद्यार्थी भी आनलाइन जुड़कर समारोह में भाग लिया। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत जुड़े,तो वहीं देवसंस्कृति विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या वर्चुअल जुड़कर नवप्रवेशी छात्र छात्राओं को दीक्षित किया। अपने संदेश में गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत ने कहा कि प्राचीन काल में जिस तरह युवा गुरुकुलों में ही रहकर विद्याध्ययन करते थे और आचार्य एवं विद्यार्थी के बीच पिता-पुत्र जैसा व्यवहार होता था, उसी परंपरा को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय निर्वहन कर रहा है,प्रसन्नता की बात है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि है और देवभूमि की परंपरा को देवसंस्कृति विश्वविद्यालय आगे बढ़ा रहा है। राज्यपाल ने शतपथ ब्राह्मण के विभिन्न सूत्रों को उल्लेख करते हुए युवाओं को परोपकारी बनने के लिए प्रेरित किया।देसंविवि के कुलाधिपति डॉ प्रणव पण्ड्या भी ऑनलाइन जुड़े और नवप्रवेशी विद्यार्थियों को ज्ञानदीक्षा के सूत्रों से दीक्षित किया। इस अवसर पर अपने संदेश में उन्होंने कहा कि सच्चरित्रवानों को ही अपना आदर्श मानें और उनके विचारों को आत्मसात करें। प्रतिकुलपति डॉ.चिन्मय पण्ड्या ने ज्ञानदीक्षा की महत्ता बताते हुए कहा कि ज्ञानदीक्षा एक पुनीत पर्व है। कुलपति शरद पारधी ने विवि से जुड़ने के लिए सभी विद्यार्थियों का स्वागत किया। उदय किशोर मिश्र ने नवप्रवेशार्थी छात्र-छात्राओं को वैदिक कर्मकाण्ड से ज्ञानदीक्षा दिलाई। कुलाधिपति डॉ.पण्ड्या ने नवप्रवेशी विद्यार्थियों को आनलाइन ज्ञानदीक्षा के संकल्प दिलाया। मंच संचालन डॉ गोपाल शर्मा ने किया। इस अवसर छःमासीय पाठ्यक्रम धर्म विज्ञान, योगा एवं समग्र स्वास्थ्य में प्रवेश प्राप्त विद्यार्थियों के अलावा अनेक छात्र छात्राएँ उपस्थित रहे।
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