भेल की धरती उगल रही सोना ,कैशलैस भेल मे जमा हो रहा कैश
हरिद्वार। डिजिटल इंडिया के तहत कैशलैस बीएचईएल मे अब सब कुछ कैश मे जमा हो रहा है। भेल मे लगने वाली पीठ बाजार के लिए संपदा विभाग मे जमा हो रही नगद धन राशि लेने मे भारी भृष्टाचार व्याप्त होने का मामला प्रकाश मे आया है। जबकि सेवानिवृत्त कर्मचारी जिसने भेल को अपने खून पसीने से सींचा है उसे अपना मेडिकल कार्ड के नवीनीकरण के लिए जमा होने वाले पैसे को ऑनलाइन जमा करने के लिए दर-दर की ठोकरें खाते देखा गया हैं। लेकिन भेल प्रबंधन उनसे नगद पैसा नहीं लेती है। भेल की भूमि पर लगने वाले साप्ताहिक बाजार मे वैंडर्स से परिचय पत्र के नाम से जो नगद धनराशि वसूल की जा रही है जिसकी कोई रसीद तक नही दी जा रही है। इस मामले मे भृष्टाचार होना इसी बात से स्पष्ट है। कि भेल पूरी तरह कैशलैस है जहाँ सभी पैमेंट ऑन लाइन लेने और देने का दावा भेल प्रबंधन द्वारा किया जाता है। फिर भेल संपदा विभाग के एक नये अधिकारी के इशारे पर नगद पैसा जमा करने की प्रक्रिया अमल मे लाई जा रही है। यह अधिकारी कुछ समय पूर्व ही स्थानांतरित होकर हरिद्वार आये है। यह उस अधिकारी के दिमाग की उपज है जिस कारण आज कल भेल की धरती सोना उगल रही है। वहीं उस अधिकारी को भेल प्रबंधिका ने राजस्व उत्पन्न करने के उदेश्य से तैनात किया है। वेंडरा नाम ना छापने की शर्त पर कुछ जनकारी दी कि जिससे भेल की साख पर बट्टा लगना तय है। तह बाजारी के नाम पर एक ठेली वाले से तीन माह के 3300रुपये लिए जा रहे और किसी से 5300रुपए लिए जा रहे है। चाहे वह पूरे महीने आये या ना आये वह भी नगद जिसकी कोई रसीद तक नही दी जा रही है,और उसे आस्थाई परिचय पत्र थमाया जा रहा है। भेल के उस अधिकारी के खिलाफ आवाज उठाने की हिम्मत बेचारा गरीब कहाँ से कर सकता है। लेकिन भेल के उच्च अधिकारिओं ने कमाई के चक्कर मे आखँ मूद कर मुंह पर ताला लगा लिया। यदि भेल से सटी नगर पालिका और नगर निगम की तेहबजारी पर नजर डाली जाए तो वह बहुत कम है। भेल जो पैसा तीन महीने के लिए वसूल रहा है वह इतना अधिक है कि उस पैसे से भी आधे मे वह पूरे वर्ष की तहबबाजारी दे सकता है। सूत्रों की माने तो भेल द्वारा यह जमा की जा रही राशि अवैध वसूली की संज्ञा मे आती है। भेल जिस स्थान पीठ बाजार के लिए तहबाजारी ले रहा है उसको लेने का अधिकार प्राप्त नही है। क्यों कि कोर्ट के निर्णय के अनुसार पीठ बाजार के वेंडर्स यूनियन के प्रतिनिधि और भेल के प्रतिनिधि मिलकर आपसी सहमति से तहबाजारी तय करेंगे। फिर भेल अपनी मनमानी किस अधिकार से कर रहा है। जब इस बावत भेल के सूचना प्रमुख से जनकारी मांगी तो उन्होंने अभिज्ञता जाहिर करते हुए महाप्रबंधक मानव संसाधन से जनकारी लेने की बात कहकर अपना पल्ला झाड़ लिया। लेकिन जब महाप्रबंधक पीके श्रीवास्तव से जनकारी मांगी तो उन्होंने जानकारी देने से बचते नजर आये। बाद मे बात करने की बात कह कर फोन काट दिया।
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