इदं न मम के भाव से हुई नवरात्र साधना की पूर्णाहुति
हरिद्वार।नवरात्र साधना के अंतिम दिन गायत्री तीर्थ शांतिकुंज व देवसंस्कृति विश्वविद्यालय में साधकों ने इदं न मम के भाव से अपने अपने अनुष्ठान की पूर्णाहुति कीं। इस अवसर पर शांतिकुंज परिसर में बहिनों ने 27 कुण्डीय तथा देसंविवि परिसर में छात्रों ने 9 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ सम्पन्न कराया। वहीं देसंविवि में नवरात्र साधना के दौरान आयोजित विशेष व्याख्यानमाला के आखिरी दिन साधकों को संबोधित करते हुए अखिल विश्व गायत्री परिवार प्रमुख डॉ. प्रणव पण्ड्या ने आस्था संकट के दौर में सकारात्मक ऊर्जा प्राप्त करने के लिए नवरात्र साधना को महत्त्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम ने आसुरी वृत्तियों का नाश करने के लिए धरती पर आये और उन्होंने रीछ, वानर आदि का सहयोग लेकर राक्षस संस्कृति को नष्ट कर भारतीय संस्कृति को प्रतिष्ठापित किया। उन्होंने कहा कि श्रीराम ने एकता, समता एवं शुचिता की मर्यादा का जो पाठ पढ़ाया है, उसका सभी अनुपालन करना चाहिए। अनेक जीवनोपयोगी पुस्तकों के लेखक डॉ. पण्ड्या ने कहा कि भगवान के साथ सच्चे मन से साझेदारी निभाने वाला कभी घाटे में नहीं रहता।इस अवसर पर संगीत भाइयों ने ‘लागी रे लगन ओ माँ...’सुगम संगीत गाकर उपस्थित साधकों को साधनात्मक जीवनचर्या अपनाने के लिए उल्लसित किया। इसके साथ ही 22मार्च से प्रारंभ हुए श्रीरामचरित मानस में शिव पार्वती संवाद पर आयोजित विशेष व्याख्यानमाला का समापन हो गया। इस अवसर पर अनेक युवाओं ने इस चौत्र नवरात्रि को अपने जीवन के सबसे अमूल्य क्षण बताते हुए डॉ. पण्ड्या जी से मिले मार्गदर्शन को जीवनभर अपनाने की बात कही। उधर शांतिकुंज के मुख्य सत्संग हॉल में साधकों को संबोधित करते हुए डॉ. ओपी शर्मा ने साधना से प्राप्त ऊर्जा को समाज के हित में लगाने के आवाहन किया।हुए विभिन्न संस्कार-श्रीरामनवमी के पावन अवसर पर पुंसवन, नामकरण, मुण्डन, जनेऊ, गुरुदीक्षा आदि संस्कार सैकड़ों की संख्या में निःशुल्क सम्पन्न कराये गये। तो वहीं नवदंपतियों ने पवित्र अग्नि की साक्षी में एक दूसरे का हाथ थामकर वैवाहिक जीवन के सूत्र में बँधे।
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