त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे साकेतवासी श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
साकेतवासी श्रीमहंत सरस्वतयाचाय ने सदैव समाज का मार्गदर्शन किया-डा. निशंक
हरिद्वार। ललताराव पुल स्थित श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़ा में साकेतवासी महामंडलेश्वर श्रीमहंत सरस्वतयाचार्य की 32वीं पुण्यतिथी के अवसर पर आयोजित गुरू स्मृति महोत्सव में सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों ने उन्हें दिव्य और महान संत बताते हुए श्रद्धासुमन अर्पित किए। समारोह को संबोधित करते हुए अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविन्द्रपुरी महाराज ने कहा कि योग्य शिष्य ही गुरु की कीर्ति को बढ़ाते हैं। साकेत वासी श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। धर्म शास्त्रों का उनका ज्ञान विलक्षण था। गुरू के रूप में ऐसे विद्वान संत का सानिध्य भाग्यशाली व्यक्ति को मिलता है। श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज सौभाग्यशाली हैं कि उन्हें साकेत वासी श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज के सानिध्य में धर्म और अध्यात्म की शिक्षा दीक्षा प्राप्त करने का अवसर मिला। कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे जगतगुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने कहा कि गुरू से प्राप्त ज्ञान और संत परंपराओं का अनुसरण करते हुए श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज को समाज का मार्गदर्शन करने के साथ धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में भी योगदान करते देखना सुखद व प्रेरणादायक है। पूर्व मुख्यमंत्री एवं हरिद्वार सांसद डा.रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि साकेतवासी श्रीमहंत सरस्वतयाचार्य महान संत थे। जिन्होंने सदैव समाज का मार्गदर्शन किया। उन्होंने कहा कि संत महापुरूष सनातन धर्म की धरोहर हैं। संतों के सानिध्य में ही कल्याण का मार्ग प्रशस्त होता है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता पूर्व कैबिनेट मंत्री डा.हरक सिंह रावत ने कहा कि देवभूमि उत्तराखंड संतों की भूमि है। संतों के श्रीमुख से बहने वाली ज्ञान गंगा से पूरे विश्व को मार्गदर्शन मिलता है। उन्होंने कहा कि श्रीमहंत रघुवीर दास महाराज जिस प्रकार गुरू परंपरांओं का पालन करते हुए लोगों को आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं, वह सराहनीय है। महामंडलेश्वर स्वामी रूपेंद्र प्रकाश एवं महंत जसविन्दर सिंह महाराज ने कहा कि धर्म प्रचार में साकेतवासी श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके जीवन दर्शन से प्रेरणा लेनी चाहिए। कार्यक्रम में उपस्थित संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए श्रीसुदर्शन आश्रम अखाड़ा के परमाध्यक्ष श्रीमहंत रघुवीर दास ने कहा कि साकेतवासी श्रीमहंत सरस्वत्याचार्य महाराज से प्राप्त ज्ञान व शिक्षाओं के अनुसरण और संत समाज के आशीर्वाद से गुरू परंपराओं को आगे बढ़ाते हुए समाज को धर्म व अध्यात्म की प्रेरणा देना और सनातन धर्म संस्कृति का प्रचार प्रसार करना ही उनके जीवन का उद्देश्य है। श्रीमहंत रघुवीर दास,महंत सूरजदास,महंत बिहारी शरण,महंत जयराम दास ने सभी संतों का फूलमाला पहनाकर व शॉल ओढ़ाकर स्वागत किया। कार्यक्रम का संचालन महामंडलेश्वर स्वामी शिवानन्द ने किया। इस अवसर पर महंत रूपेंद्र प्रकाश,स्वामी प्रबोधानंद गिरी,महंत जसविन्दर सिंह,महंत शिवम गिरी, साध्वी ज्वाला माता,महंत गौरीशंकर दास,महंत ईश्वर दास,महंत सूरज दास,महंत जयराम दास ,स्वामी चिदविलासानंद,महंत बिहारी शरण,स्वामी संतोषानंद,महंत प्रेमदास,महंत अंकित शरण ,महंत गोविंददास,महंत विनोद महाराज,महंत श्यामप्रकाश,वरिष्ठ भाजपा नेता ओमप्रकाश जमदग्नि,सुभाष मेहता सहित बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त और आश्रम के ट्रस्टी मौजूद रहे।
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