हरिद्वार। श्री गंगा भक्ति आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कमलेशानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि धर्म से व्यक्ति को सत्कर्म की प्रेरणा मिलती है और धार्मिक ग्रंथों का पठन-पाठन एवं श्रवण व्यक्ति की दिनचर्या का अंग होना चाहिए। वे सोमवार को उत्तरी हरिद्वार के खड़खड़ी हिल बाईपास स्थित श्रीगंगा भक्ति आश्रम के 42वें वार्षिकोत्सव के उपलक्ष में आयोजित श्रीरामचरित मानस के अखंड पाठ की पूर्णाहुति पर भक्तों को धर्म के प्रति आस्थावान बनने की प्रेरणा दे रहे थे। श्रीरामचरितमानस के प्रेरणादायी प्रसंगों की व्याख्या करते हुए उन्होंने कहा कि मर्यादा व्यक्ति को महान बनाती है और दशरथ नंदन राम ने कुल एवं चरित्र की मर्यादा को जिस प्रकार विषम परिस्थितियों में भी संजो कर रखा। हम सब को उनके जीवन चरित्र को आत्मसात करना चाहिए। इसीलिए धर्म स्थल एवं परिवारों में श्री रामचरितमानस के अखंड पाठ की परंपरा प्रारंभ की गई है। विघटित हो रहे संयुक्त परिवारों पर चिंता व्यक्त करते हुए उन्होंने कहा कि भगवान राम ने राजतिलक के स्थान पर बनवास दिलाने वाली मां केकई को भी मां का पूरा सम्मान दिया तथा राजा दशरथ के देहावसान के बाद भी उनके बचनों का निर्वाह कर कुल की मर्यादा को गिरने नहीं दिया। एकल परिवारों की तुलना में संयुक्त परिवारों को सृष्टि की सार्थकता बताते हुए कहा कि सतयुग में मंत्र सृष्टि थी,लेकिन मनु एवं शतरूपा ने वैवाहिक बंधन में बंधकर मैथुन संस्कृति का शुभारंभ किया,तभी से विवाह संस्कार को जीवन का महत्वपूर्ण संस्कार माना जाता है,और यही संस्कार तथा संस्कृति अनवरत जारी रहनी चाहिए तभी समाज का कल्याण होगा। उन्होंने गंगा दशहरा एवं गंगा अवतरण दिवस की सभी श्रद्धालुओं को शुभकामनाएं देते हुए ब्रह्मलीन सद्गुरुदेव भगवान स्वामी राघवानंद सरस्वती महाराज द्वारा स्थापित धर्म एवं समाज सेवा प्रकल्पों के संरक्षण एवं संवर्धन में सहयोग करने वाले सभी भक्तों को साधुवाद दिया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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