हरिद्वार। महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी महाराज ने गंगा दशहरे की शुभकामनाएं देते हुए कहा है मानव कल्याण के लिए घरती पर अवतरित हुई मां गंगा सनातन धर्म का आधार है। उन्होंने कहा कि गंगा जल के आचमन और दर्शन मात्र से ही मानव का कल्याण हो जाता है। श्रद्धालुओं को मां गंगा की महिमा से अवगत कराते हुए महामंडलेश्वर स्वामी गर्व गिरी महाराज ने कहा कि राजा भगीरथ द्वारा कपिल मुनि के श्राप से भस्म हुए अपने पूर्वजों की मुक्ति के लिए कठोर तप करने के बाद मां गंगा शिव की जटाओं से निकलकर ज्येष्ठ मास की दसवीं तिथी को धरती पर आयी थी। इसलिए इस दिन को गंगा दशहरे के रूप में मनाया जाता है। धरती पर आयी मां गंगा ने राजा भगीरथ के पूर्वजों का कल्याण करने के साथ तमाम मानव जाति का कल्याण कर रही है। मां गंगा भारत की जीवन रेखा भी है। गंगोत्री से लेकर गंगा सागर तक मां गंगा कृषि भूमि को सिंचित कर करोड़ों लोगों की भूख मिटाती है। उन्होंने कहा कि सच्ची श्रद्धा और भक्ति के साथ गंगा जल में स्नान करने से तमाम पापों से मुक्ति मिलती है और परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। लेकिन बड़े दुख का विषय है कि मानवीय गलतियों के चलते गंगा में प्रदूषण बढ़ रहा है। जो कि बेहद चिंता का विषय है। उन्होंने श्रद्धालु भक्तों से अपील करते हुए कहा कि सभी गंगा की निर्मलता, अविरलता और स्वच्छता बनाए रखने में योगदान करें। साथ ही दूसरों को भी मां गंगा की पवित्रता बनाए रखने के लिए प्रेरित करें। इस अवसर पर स्वामी कृष्णानंद गिरी, महंत लव गिरी, डा.अभय गौतम, डा.सिन्हा गौतम, कदम सिंह, महावीर सिंह, सौमिया पुरी, सुधीर, मोनू गिरी, नतीक गिरी, कार्तिक पुरी, विजय सचदेवा, ज्योति राना, दीपांशु त्यागी, आराध्य गौतम, नयारा गौतम आदि ने गंगा दशहरा पर स्वामी गर्व गिरी महाराज से आशीर्वाद लिया।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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