हरिद्वार। खड़खड़ी स्थित निर्धन निकेतन आश्रम में आयोजित श्रीमद् देवी भागवत महापुराण कथा के शुभारंभ पर श्रद्धालुओं को कथा के महात्मय से अवगत कराते हुए कथा व्यास महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के श्रवण और उससे मिले ज्ञान को जीवन में धारण करने से सभी पाप नष्ट हो जाते हैं। समस्त दुख दूर हो जाते हैं। परिवार में सुख समृद्धि का वास होता है। ज्ञान का भंडार श्रीमद् देवी भागवत महापुराण के श्रवण से समस्त तीर्थो की यात्रा व अनेक व्रतों का फल प्राप्त होता है। कथा के प्रभाव से साधक का आत्मिक बल बढ़ता है। जिससे जीवन के प्रत्येक क्षेत्र में सफलता प्राप्त होती है। निर्धन निकेतन आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी ऋषि रामकृष्ण महाराज ने श्रद्धालुओं को आशीवर्चन प्रदान करते हुए कहा कि श्रीमद् देवी भागवत के श्रवण से अमोघ फल की प्राप्ति होती है। देवी भगवती की कृपा प्राप्त होती है। भगवती की कृपा के चलते साधक को समस्त सुखों की प्राप्ति होती है। जिस प्रकार सूर्य के प्रकाश के सामने अंधकार छंट जाता है, उसी प्रकार श्रीमद् देवी भागवत् पुराण के श्रवण से अज्ञान रूपी अंधकार दूर होता है और ज्ञान के प्रकाश का उदय होता है। पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि गंगा तट पर संतों के सानिध्य में कथा श्रवण से दोगुना पुण्य लाभ प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि श्रीमद् देवी भागवत का श्रवण सदैव कल्याणकारी होता है। सभी श्रद्धालु कथा से मिले ज्ञान को जीवन आचरण में धारण करें और मानव कल्याण में योगदान करें। कथा के शुभारंभ से पूर्व गंगा तट से कथा स्थल तक भव्य कलश यात्रा निकाली गयी। कलश यात्रा में बड़ी संख्या में श्रद्धालु सम्मिलित हुए। इस अवसर पर स्वामी शिवानंद भारती, महंत शिवम गिरी,स्वामी रविदेव शास्त्री, स्वामी ऋषिश्वरानंद, महंत सूरज दास सहित कई संत महापुरूष एवं आश्रम के ट्रस्टी तथा श्रद्धालु शामिल रहे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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