हरिद्वार। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के अंतर्गत पतंजलि अनुसंधान और पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सभागार में किया गया जिसमें स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एण्ड ट्रेनिंग (एसआईएइटी) के साथ दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) के मध्य अनुसंधान कार्य करने संबंधित अनुबंध ‘मोमोरेंडम ऑफ अण्डरटेकिंग’ पर भी हस्ताक्षर किए गए। कार्यशाला का उद्घाटन पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण, राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केंद्र बारखेडी कलाँ भोपाल के निदेशक कोमल प्रसाद अहरवाल तथा पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर राजेश सक्सेना ने दीप प्रज्जवलन करके किया गया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारत आयुर्वेद की भूमि है। सदियों से इसने वैदिक बुद्धिमत्ता को संरक्षित करके रखा है। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए साक्ष्य आधारित चिकित्सा प्रणाली विकसित की जो पूर्ण प्रामाणिकता के साथ आयुर्वेद को शिखर तक ले जा रही है। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं। उसमें भी पतंजलि संस्थान की प्रमुख भूमिका रही है। पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के पतंजलि के प्रयासों सेे लाखों लोगों ने औषधीय पौधों के प्राचीन विज्ञान को स्वीकार किया है। यह आयुर्वेदिक सिद्धांत विश्व चिकित्सा प्रणाली में अद्वितीय है। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि कोमल प्रसाद अहरवाल ने ‘कर्म’ को जीवन का आधार बताते हुए कहा कि हमारे कार्यों से ही हमारे विचार परिलक्षित होते हैं। वेदों और ग्रंथों के माध्यम से कर्म के विषय में जाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में व्यावहारिक विषयों व नैतिक मूल्यों को स्थापित किए जाने की भी आवश्यकता है। किसी भी राष्ट्र के मूल विकास के लिए लोगों का स्वस्थ और शिक्षित होना आवश्यक है।इस अवसर पर पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरिद्वार के वाइस प्रेसीडेंट डॉक्टर अनुराग वार्ष्णेय ने ‘आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार विषय’ पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि पतंजलि स्वास्थ्य,आध्यात्म, देशभत्तिफ और दीर्घायु का पर्याय बन गया है। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर राजेश सक्सेना ने कि आज ‘पतंजलि योग ग्राम’ आयुर्वेद प्रतिष्ठान साध्य-असाध्य रोगों के उपचार के लिए एक सफल अनुसंधान केंद्र है। कार्यक्रम में पतंजलि हर्बल रिसर्च डिवीजन की वैज्ञानिक डॉक्टर प्रियंका चौधरी,डॉक्टर विवेक गोहल,पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर आशीष भारती गोस्वामी,ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट डिवीजन के डीजीएम ऑपरेशन्स प्रदीप नैन आदि ने सम्मेलन में अपने शोध साझा किए। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉक्टर प्रवीण पुनिया,पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अनिल यादव सहित पतंजलि रिसर्च हर्बल डिपार्टमेंट के सभी सहयोगी कर्मचारी, वैज्ञानिक और प्रोफेसर उपस्थित रहे।
हरिद्वार। भारत सरकार के आयुष मंत्रालय द्वारा पतंजलि आयुर्वेद हॉस्पिटल के अंतर्गत पतंजलि अनुसंधान और पतंजलि विश्वविद्यालय के सहयोग से एकदिवसीय कार्यशाला का आयोजन पतंजलि अनुसंधान संस्थान के सभागार में किया गया जिसमें स्टेट इंस्टीट्यूट ऑफ एग्रीकल्चर एक्सटेंशन एण्ड ट्रेनिंग (एसआईएइटी) के साथ दिव्य योग मंदिर (ट्रस्ट) के मध्य अनुसंधान कार्य करने संबंधित अनुबंध ‘मोमोरेंडम ऑफ अण्डरटेकिंग’ पर भी हस्ताक्षर किए गए। कार्यशाला का उद्घाटन पतंजलि योगपीठ के महामंत्री आचार्य बालकृष्ण, राज्य कृषि विस्तार एवं प्रशिक्षण केंद्र बारखेडी कलाँ भोपाल के निदेशक कोमल प्रसाद अहरवाल तथा पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर राजेश सक्सेना ने दीप प्रज्जवलन करके किया गया। इस अवसर पर आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि भारत आयुर्वेद की भूमि है। सदियों से इसने वैदिक बुद्धिमत्ता को संरक्षित करके रखा है। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन इस प्राचीन ज्ञान को आधुनिक विज्ञान के साथ जोड़ने का कार्य कर रहा है। पतंजलि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने आयुर्वेद को विश्व स्तर पर स्थापित करने के लिए साक्ष्य आधारित चिकित्सा प्रणाली विकसित की जो पूर्ण प्रामाणिकता के साथ आयुर्वेद को शिखर तक ले जा रही है। उन्होंने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री आत्मनिर्भर भारत की बात करते हैं। उसमें भी पतंजलि संस्थान की प्रमुख भूमिका रही है। पारंपरिक ज्ञान के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के पतंजलि के प्रयासों सेे लाखों लोगों ने औषधीय पौधों के प्राचीन विज्ञान को स्वीकार किया है। यह आयुर्वेदिक सिद्धांत विश्व चिकित्सा प्रणाली में अद्वितीय है। कार्यशाला में विशिष्ट अतिथि कोमल प्रसाद अहरवाल ने ‘कर्म’ को जीवन का आधार बताते हुए कहा कि हमारे कार्यों से ही हमारे विचार परिलक्षित होते हैं। वेदों और ग्रंथों के माध्यम से कर्म के विषय में जाना जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीवन में व्यावहारिक विषयों व नैतिक मूल्यों को स्थापित किए जाने की भी आवश्यकता है। किसी भी राष्ट्र के मूल विकास के लिए लोगों का स्वस्थ और शिक्षित होना आवश्यक है।इस अवसर पर पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन, हरिद्वार के वाइस प्रेसीडेंट डॉक्टर अनुराग वार्ष्णेय ने ‘आयुर्वेदिक औषधियों से उपचार विषय’ पर अपने विचार प्रस्तुत करते हुए कहा कि पतंजलि स्वास्थ्य,आध्यात्म, देशभत्तिफ और दीर्घायु का पर्याय बन गया है। पतंजलि रिसर्च फाउंडेशन ट्रस्ट के वैज्ञानिक सलाहकार डॉक्टर राजेश सक्सेना ने कि आज ‘पतंजलि योग ग्राम’ आयुर्वेद प्रतिष्ठान साध्य-असाध्य रोगों के उपचार के लिए एक सफल अनुसंधान केंद्र है। कार्यक्रम में पतंजलि हर्बल रिसर्च डिवीजन की वैज्ञानिक डॉक्टर प्रियंका चौधरी,डॉक्टर विवेक गोहल,पतंजलि आयुर्वेदिक कॉलेज के प्रोफेसर डॉक्टर आशीष भारती गोस्वामी,ड्रग डिस्कवरी एंड डेवलपमेंट डिवीजन के डीजीएम ऑपरेशन्स प्रदीप नैन आदि ने सम्मेलन में अपने शोध साझा किए। इस अवसर पर पतंजलि विश्वविद्यालय की कुलसचिव डॉक्टर प्रवीण पुनिया,पतंजलि आयुर्वेद कॉलेज के प्राचार्य प्रोफेसर अनिल यादव सहित पतंजलि रिसर्च हर्बल डिपार्टमेंट के सभी सहयोगी कर्मचारी, वैज्ञानिक और प्रोफेसर उपस्थित रहे।
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