हरिद्वार। श्री पंचदशनाम जूना अखाड़े की पवित्र छड़ी रविवार को हर की पैड़ी पहुंची,जहां श्रीगंगा सभा के तत्वावधान में गंगा पूजन कर यात्रा की सफलता व उत्तराखंड सहित पूरे देश की उन्नति के लिए प्रार्थना की। पूर्व निर्धारित नगर परिक्रमा कार्यक्रम के अनुसार पवित्र छड़ी जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय संरक्षक व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमहंत हरी गिरी महाराज, अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव व अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज,जूना अखाड़े के अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमहंत प्रेम गिरि महाराज, दूधेश्वर पीठाधीश्वर श्रीमहंत नारायण गिरी महाराज के नेतृत्व में साधु संतों, नागा संन्यासियों तथा श्रद्धालुओं के साथ नगर के प्रमुख बाजारों से होती हुई हर की पैड़ी पहुंची। जहां श्री गंगा सभा के अध्यक्ष नितिन गौतम, महामंत्री तन्मय वशिष्ठ, स्वागत अध्यक्ष सिद्धार्थ चक्रपाणि, गंगा घाट व्यवस्थापक वीरेंद्र कौशिक,सभापति कृष्ण कुमार ठेकेदार, समाज कल्याण मंत्री विकास प्रधान,गंगा सेवक दल के अध्यक्ष उज्ज्वल पंडित, अविनाश श्रोत्रिय आदि ने पवित्र छड़ी तथा संतों का पुष्प माला पहनाकर स्वागत कर पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। गंगा सभा के सानिध्य में विद्वान ब्राह्मणों द्वारा पवित्र छड़ी व मां गंगा का पूर्ण विधि ध्यान से पूजा अर्चना तथा मां गंगा का दुग्ध अभिषेक कर यात्रा की सफलता की कामना की। इस अवसर पर श्रीमहंत हरि गिरि तथा अखाड़ा परिषद अध्यक्ष श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि पवित्र छड़ी यात्रा विगत 4वर्षों से उत्तराखंड की उन्नति,प्रगति,विकास तथा उत्तराखंड के पौराणिक तीर्थ की गरिमा बनाए रखने के लिए यात्रा कर रही है। छड़ी यात्रा का उद्देश्य उत्तराखंड के उपेक्षित व गुमनाम पौराणिक तीर्थ स्थलों का विकास कर तीर्थाटन को बढ़ावा देना है। ताकि इन क्षेत्रों से पलायन रुके और स्थानीय लोगों को रोजगार के अवसर उपलब्ध हो सके। यह तभी संभव है जब आम जनता, तीर्थ यात्रियों और पर्यटकों को इनके पौराणिक महत्व तथा इतिहास की जानकारी होगी। यात्रा के माध्यम से इन पौराणिक तीर्थों के संदर्भ में जनता को जागरूक किया जा रहा है। गंगासभा की ओर से साधु संतों को भोजन प्रसाद कराया गया तथा पुष्प वर्षा कर उन्हें सम्मानित किया गया। इस अवसर पर अखाड़े के राष्ट्रीय सचिव श्रीमहंत महेशपुरी,श्रीमहंत शैलेंद्र गिरी,श्रीमहंत पुजारी सुरेशानंद सरस्वती,श्रीमहंत पूर्णा गिरि,श्रीमहंत पुष्कर गिरी,श्रीमहंत शिवदत्त गिरी,श्रीमहंत पशुपति गिरी,महंत महेंद्र भारती,महंत महाकाल गिरी,महंत आदित्य गिरी,महंत रतन गिरी,महंत राजगिरी,महंत भीष्म गिरी,महंत आकाश गिरी,महंत धीरेंद्र पुरी आदि उपस्थित रहे।
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