हरिद्वार। पतंजलि विश्वविद्यालय, केंद्रीय योग और प्राकृतिक चिकित्सा अनुसंधान परिषद (सीसीआरवाईएन) नई दिल्ली तथा एनआईएन पुणे हरिद्वार,उत्तराखण्ड में‘छठे प्राकृतिक चिकित्सा दिवस’का आयोजन करने जा रहे हैं। इस अवसर पर सीसीआरवाईएन तथा पतंजलि विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में‘नैचुरोपैथी फॉर हालिस्टिक हैल्थ (समग्र स्वास्थ्य के लिए प्राकृतिक चिकित्सा)’ विषय पर 18 और 19 नवंबर को दो दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया जा रहा है। उक्त सम्मेलन पतंजलि विश्वविद्यालय, हरिद्वार के सभागार में आयोजित किया जाना सुनिश्चित हुआ है। पतंजलि योगपीठ,सीसीआरवाईएन ,एनआईएन और विश्व प्राकृतिक चिकित्सा महासंघ के सहयोग से दूसरी बार‘प्राकृतिक चिकित्सा पर अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन’ का आयोजन कर रहा है। इस सम्मेलन में देश-विदेश के छात्र, शिक्षक, शोधकर्ता, व्यवसायी और शिक्षाविद प्राकृतिक चिकित्सा के क्षेत्र में अवसरों और चुनौतियों पर विचार-विमर्श करेंगे और इस क्षेत्र के विकास की नई राह तलाशेंगे। सम्मेलन में कार्यात्मक खाद्य पदार्थ,प्राकृतिक चिकित्सा पोषण,स्पा,सार्वजनिक स्वास्थ्य में प्राकृतिक चिकित्सा,खाद्य पदार्थों के औषधीय मूल्य,गट माइक्रोबायोम और डिस्बिओसिस, प्राकृतिक चिकित्सा अवधारणाओं के लिए वैज्ञानिक आधार आदि विषयों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। साथ ही सम्मेलन में युवा शोधकर्ताओं के लिए सेंटर फॉर क्रॉनिक डिजीज कंट्रोल,नई दिल्ली द्वारा अनुसंधान पद्धति पर एक कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी। प्राकृतिक चिकित्सा औषधि रहित व दुष्प्रभाव रहित निरापद चिकित्सा प्रणाली है जिसके माध्यम से मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य सहजता से प्राप्त किया जा सकता है। ज्ञात हो कि प्राकृतिक चिकित्सा को बढ़ावा भारत सरकार के आयुष (आयुर्वेद, योग और प्राकृतिक चिकित्सा,यूनानी,सिद्ध और होम्योपैथी) मंत्रलय द्वारा प्रत्येक वर्ष 18 नवंबर को प्राकृतिक चिकित्सा दिवस मनाया जाता है।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
Comments
Post a Comment