हरिद्वार। श्री कृष्णा आश्रम रानीपुर मोड़ हरिद्वार में 11वां गुरु स्मृति महोत्सव बड़े ही धूमधाम से संत महापुरुषों की गरिमा मय उपस्थित के बीच संपन्न हुआ इस अवसर पर महंत श्री बिहारी शरण जी महाराज ने अपने परम सेवा भावी शिष्य श्री अंकित शरण महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए श्रीमहंत पद पर पटट्ाभिषेक किया। इस अवसर पर सभी संत महापुरुषों ने चादर ओढ़ाकर नव नियुक्त महंत अंकित शरण महाराज का तिलक किया। इस अवसर पर बोलते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने कहा गुरु शिष्य परंपरा सनातन सन्यास संस्कृति की महान परंपरा है। एक गुरु अपने शिष्य को समय रहते अपनी जिम्मेदारियां सौंप कर उसे जिम्मेदारियां का एहसास कराता है। भारतीय संस्कृति संपूर्ण विश्व में संस्कारों तथा सभ्यता के लिए जानी जाती है आज संपूर्ण विश्व हमारी सनातन परंपरा को अपने के लिए आतुर है। श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमाध्यक्ष महंत रघुवर दास जी महाराज ने कहा अंकित शरण जी महाराज एक विद्वान त्यागमूर्ति संत है। उनके परम वंदनीय गुरुदेव महंत बिहारी शरण महाराज ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर उनके कंधों पर अपनी जिम्मेदारी सौंपी है। अंकित शरण आश्रम को और अधिक उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाएंगे। इस अवसर पर बोलते हुए महंत बिहारी शरण महाराज ने कहा पूज्य गुरुदेव गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे,उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान कर भक्त अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ किया करते थे। मेरे परम शिष्य अंकित शरण महाराज एक सेवाभावी आज्ञाकारी शिष्य हैं वे आश्रम को दिन प्रतिदिन उन्नति के पथ पर अग्रसर करेंगे। नव नियुक्त महंत अंकित शरण महाराज ने कहा वंदनीय गुरुदेव श्री बिहारी शरण जी महाराज ज्ञान और त्याग की एक अखंड मूर्ति है मै उनके सानिध्य और आशीर्वाद की छाया में उनके बताएं मार्गदर्शन के अनुसार आगे बढ़ने का प्रयास करूंगा। गुरुदेव श्री महंत बिहारी शरण जी महाराज की महिमा बड़ी अपरंपार है,वे साक्षात ईश्वर की प्रतिमूर्ति है। उनके द्वारा सोपी गई जिम्मेदारी को पत्थर की लकीर मानकर पूरा करूंगा। इस अवसर पर बाबा हठयोगी,महंत रघुवर दास ,महंत कृष्णदेव,महंत रविदेव महाराज, महंत विवेकानंद महाराज, महंत शत्रुघ्न दास, श्रवण शंखधर,शिवांग भारद्वाज,शंखधर, श्रीयांग शखधर आकाश बहुखंडी, आचार्य कृष्ण पाराशरी, गौतम मिश्रा एवं कीर्तन मंडली सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।
हरिद्वार। श्री कृष्णा आश्रम रानीपुर मोड़ हरिद्वार में 11वां गुरु स्मृति महोत्सव बड़े ही धूमधाम से संत महापुरुषों की गरिमा मय उपस्थित के बीच संपन्न हुआ इस अवसर पर महंत श्री बिहारी शरण जी महाराज ने अपने परम सेवा भावी शिष्य श्री अंकित शरण महाराज को अपना उत्तराधिकारी घोषित करते हुए श्रीमहंत पद पर पटट्ाभिषेक किया। इस अवसर पर सभी संत महापुरुषों ने चादर ओढ़ाकर नव नियुक्त महंत अंकित शरण महाराज का तिलक किया। इस अवसर पर बोलते हुए अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष श्रीमहंत रवींद्र पुरी जी महाराज ने कहा गुरु शिष्य परंपरा सनातन सन्यास संस्कृति की महान परंपरा है। एक गुरु अपने शिष्य को समय रहते अपनी जिम्मेदारियां सौंप कर उसे जिम्मेदारियां का एहसास कराता है। भारतीय संस्कृति संपूर्ण विश्व में संस्कारों तथा सभ्यता के लिए जानी जाती है आज संपूर्ण विश्व हमारी सनातन परंपरा को अपने के लिए आतुर है। श्री सुदर्शन आश्रम अखाड़े के परमाध्यक्ष महंत रघुवर दास जी महाराज ने कहा अंकित शरण जी महाराज एक विद्वान त्यागमूर्ति संत है। उनके परम वंदनीय गुरुदेव महंत बिहारी शरण महाराज ने अपना उत्तराधिकारी घोषित कर उनके कंधों पर अपनी जिम्मेदारी सौंपी है। अंकित शरण आश्रम को और अधिक उन्नति के पथ पर आगे बढ़ाएंगे। इस अवसर पर बोलते हुए महंत बिहारी शरण महाराज ने कहा पूज्य गुरुदेव गोलोकवासी महंत हेमकांत शरण महाराज ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे,उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान कर भक्त अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ किया करते थे। मेरे परम शिष्य अंकित शरण महाराज एक सेवाभावी आज्ञाकारी शिष्य हैं वे आश्रम को दिन प्रतिदिन उन्नति के पथ पर अग्रसर करेंगे। नव नियुक्त महंत अंकित शरण महाराज ने कहा वंदनीय गुरुदेव श्री बिहारी शरण जी महाराज ज्ञान और त्याग की एक अखंड मूर्ति है मै उनके सानिध्य और आशीर्वाद की छाया में उनके बताएं मार्गदर्शन के अनुसार आगे बढ़ने का प्रयास करूंगा। गुरुदेव श्री महंत बिहारी शरण जी महाराज की महिमा बड़ी अपरंपार है,वे साक्षात ईश्वर की प्रतिमूर्ति है। उनके द्वारा सोपी गई जिम्मेदारी को पत्थर की लकीर मानकर पूरा करूंगा। इस अवसर पर बाबा हठयोगी,महंत रघुवर दास ,महंत कृष्णदेव,महंत रविदेव महाराज, महंत विवेकानंद महाराज, महंत शत्रुघ्न दास, श्रवण शंखधर,शिवांग भारद्वाज,शंखधर, श्रीयांग शखधर आकाश बहुखंडी, आचार्य कृष्ण पाराशरी, गौतम मिश्रा एवं कीर्तन मंडली सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।
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