हरिद्वार। आर्य निवास निरंजनी अखाड़ा रोड में 1008 श्री श्री रंग अवधूत जी महाराज नारेश्वर गुजरात की पावन पुण्यतिथि भक्तजनों ने एक भव्य उत्सव में मनाई। पूज्य रंगअवधूत जी महाराज 1968 में श्री आर्य निवास में ब्रह्मलीन हो गए थे। सात दिवसीय संत महापुरुषों की गरिमामय उपस्थिति में गुरुदेव की पुण्यतिथि कार्यक्रम मंगलवार को संपन्न हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए श्री गंगादास उदासीन महाराज ने कहा जगत पर अमृत रूपी ज्ञान वर्षा करने वाले भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाने वाले परम प्रतापी संत थे। रंग अवधूत जी महाराज नालेश्वर जिन्होंने धर्म और समाज में ज्ञान की एक अखंड ज्योति जगाई। इस अवसर पर बोलते हुए श्रीपाद पाठक ने कहा गुरुदेव ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे उनकी ज्ञान रूपी गंगा में स्नान करने के बाद भक्त अपने यह जीवन को धन्य और कृतार्थ करते थे। इस अवसर पर बोलते हुए श्री आदित्य भाई पुरोहित ने कहा परम पूज्य गुरुदेव ने ज्ञान की एक ऐसी गंगा बहाई जिसमें स्नान कर भक्तों का जीवन धन्य हो गया। बड़ा पंचायती अखाड़ा के सचिव स्वामी गोविंद दास जी महाराज ने कहा संत महापुरुषों का जीवन समाज को समर्पित होता है उनके प्रति एक कार्य में समाज का हित निहित होता है। महामंडलेश्वर स्वामी ललितानंद जी महाराज ने कहा स्वामी रंग अवधूत जी महाराज ने अपने ज्ञान के माध्यम से भक्तों को सत्य का मार्ग दिखाया। इस अवसर पर महंत कैलाशानंद, महंत रवि देव महाराज, पंजाबी बाबा महंत दिनेश दास स्वामी गगन देव महाराज ब्रह्मानंद पुरी महाराज रामदास महाराज स्वामी प्रेमानंद महाराज, स्वामी कृष्णदेव महाराज, स्वामी हरिहरानंद महाराज, वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण जी, श्याम गिरी महाराज, श्रवण दास, रमेशानंद देहरादून, बाबा धर्मदास रामदास , आदित्य भाई पुरोहित,श्रीपाद पाठक,कमलेश भाई पटेल,रमेश भाई ठाकर,आस्था बेन सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा कि वर्तमा
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