हरिद्वार। बाबा अमीर गिरी धाम हरिपुर कला में बाल योगी श्री महंत विनोद गिरि जी की तृतीय बरसी पर आयोजित संत समागम में संत महापुरुषों ने ज्ञान की गंगा बहाई। इस अवसर पर बोलते हुए जूना अखाड़े के पूर्व सचिव श्रीमहंत देवानंद सरस्वती ने कहां ब्रह्मलीन बाल योगी श्री महंत विनोद गिरि जी महाराज ज्ञान का एक विशाल सरोवर थे। उनके ज्ञान रूपी सरोवर में स्नान करने के बाद भक्त अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ किया करते थे। आश्रम की श्रीमहंत गीता मनीषी डॉ राधा गिरी ने कहा पूज्य गुरुदेव श्री महंत विनोद गिरि जी साक्षात ईश्वर की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने भक्तों के बीच ऐसी ज्ञान की वर्षा कि श्रद्वालु भक्ति के माध्यम से संत सेवा के माध्यम से अपने जीवन को कल्याण की ओर ले जाने लगे। पूज्य गुरुदेव एक ऐसे तपो मूर्ति त्याग मूर्ति संत थे कि उन्होंने अपने जीवन काल में समाज कल्याण की भावना से निहित होकर अने को समाज कल्याणकारी कार्य किये अपनी भक्ति तपस्या के माध्यम से श्रद्वालुओं के जीवन में खुशियां बिखेरी। श्री महंत डॉ गीता मनीषी राधा गिरी ने कहा धर्म कर्म और सत्य का ईश्वर भक्ति मनुष्य का लोक और परलोक दोनों सुधार देता है। हरिद्वार जैसी पावन धरा पर संत महापुरुषों के श्री मुख से ज्ञान की अमृत वर्षा सुनने वाले भक्तों का जीवन धन्य हो जाता है। इस अवसर पर आयोजित भंडारे में सभी महापुरुषों ने भोजन प्रसाद ग्रहण किया। इस अवसर पर महामंडलेश्वर ललितानंद महाराज, महंत प्रदीप गिरी, महंत गोविंद गिरी, महंत बालक दास पुरी,साध्वी योगेश्वरी, कोठारी बाबा राजेश गिरी, साध्वी श्रीमहंत बिंदुनाथ,साध्वी प्राची महाराज,बलराम मुनि,श्रीमहंत आराधनागिरी,प्रेमानंद जी महाराज,महामंडलेश्वर हरिचेतनानंद महाराज,महंत केशवानंद महाराज,प्रदीप गिरि, महंत जगदीश गिरी,महंत धीरेंद्र पुरी,महंत केशवानंद राजगिरी, पूर्ण गिरी,साक्षी गिरी, सत्यव्रतानंद महंत कमलेशानंद सरस्वती, मनोज जखमोला, गीतांजलि झखमोला, महंत मोहन सिंह,बाबा तीर्थ सिंह महाराज, विनोद गिरि महाराज, सरवन दास,श्याम गिरी ,धर्मदास,रामदास वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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