हरिद्वार। भूपतवाला स्थित श्री लक्ष्मी निवास आश्रम एवं हनुमान बाग आश्रम के परमाध्यक्ष महंत जानकीदास महाराज का निधन होने से संत समाज में शोक की लहर दौड़ गयी। खड़खड़ी शमशान घाट पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरूषों की उपस्थिति में महंत जानकीदास महाराज का अंतिम संस्कार किया गया। साकेतवासी महंत जानकीदास के शिष्य स्वामी गणेशदास ने उन्हें मुखाग्नि प्रदान की। इस दौरान संत महापुरूषों ने महंत जानकीदास की पार्थिव देह पर पुष्प अर्पित कर उन्हें श्रद्धांजलि दी। जगद्गुरू स्वामी अयोध्याचार्य महाराज ने साकेतवासी महंत जानकीदास को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए कहा कि महंत जानकीदास त्याग,तपस्या और सेवा की प्रतिमूर्ति थे। उनके निधन से संत समाज को अपूर्णीय क्षति हुई है। सनातन धर्म संस्कृति मे प्रचार प्रसार में साकेतवासी महंत जानकीदास महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। सभी को उनके दिखाए मार्ग पर चलते हुए मानव कल्याण का संकल्प लेना चाहिए। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी एवं अखाड़ा परिषद के महामंत्री श्रीमहंत राजेंद्रदास महाराज ने कहा कि साकेतवासी महंत जानकीदास महाराज तपस्वी संत थे। मां गंगा उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दे। महंत विष्णुदास, महंत दुर्गादास एवं बाबा हठयोगी ने कहा कि संत महापुरूष केवल देह त्याग करते हैं। उनकी आत्मा सदैव समाज का मार्गदर्शन करती है। साकेतवासी महंत जानकीदास महाराज विद्वान संत थे। उनकी शिक्षाएं सदैव सभी को प्रेरणा देती रहेंगी। महंत रघुवीर दास,महंत सूरजदास,महंत बिहारी शरण,महंत नारायण दास पटवारी ने कहा कि धर्म संस्कृति के परम विद्वान साकेतवासी महंत जानकीदास महाराज ने जीवन पर्यन्त सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में योगदान दिया। महंत प्रह्लाद दास, महंत प्रेमदास,महंत जयराम दास,महंत हरिदास,महंत राजेंद्र दास,महंत प्रमोद दास,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी निर्मलदास,स्वामी सुतीक्ष्ण मुनि,स्वामी दिनेश दास सहित सभी तेरह अखाड़ों के संतों और श्रद्धालु भक्तों ने साकेतवासी महंत जानकीदास को श्रद्धांजलि दी।
हरिद्वार। कुंभ में पहली बार गौ सेवा संस्थान श्री गोधाम महातीर्थ पथमेड़ा राजस्थान की ओर से गौ महिमा को भारतीय जनमानस में स्थापित करने के लिए वेद लक्ष्णा गो गंगा कृपा कल्याण महोत्सव का आयोजन किया गया है। महोत्सव का शुभारंभ उत्तराखंड गौ सेवा आयोग उपाध्यक्ष राजेंद्र अंथवाल, गो ऋषि दत्त शरणानंद, गोवत्स राधा कृष्ण, महंत रविंद्रानंद सरस्वती, ब्रह्म स्वरूप ब्रह्मचारी ने किया। महोत्सव के संबध में महंत रविंद्रानंद सरस्वती ने बताया कि इस महोत्सव का उद्देश्य गौ महिमा को भारतीय जनमानस में पुनः स्थापित करना है। गौ माता की रचना सृष्टि की रचना के साथ ही हुई थी, गोमूत्र एंटीबायोटिक होता है जो शरीर में प्रवेश करने वाले सभी प्रकार के हानिकारक विषाणुओ को समाप्त करता है, गो पंचगव्य का प्रयोग करने से शरीर की रोगप्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, शरीर मजबूत होता है रोगों से लड़ने की क्षमता कई गुना बढ़ाता है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में वैश्विक महामारी ने सभी को आतंकित किया है। परंतु जिन लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत है। कोरोना उनका कुछ नहीं बिगाड़ पाता है। उन्होंने गो पंचगव्य की विशेषताएं बताते हुए कहा ...
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