हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार जुर्स कंट्री द्वारा होली महोत्सव के पावन अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया कथा के चतुर्थ दिवस भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने होली महोत्सव के महत्व का वर्णन करते हुए बताया की प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अहंकार में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई,पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका जलाने की लकड़ी जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद आनंद रहता है। परंतु वहीं पर राक्षसी परंपरा के लोग सवेरे उठकर के मांस मदीरा का सेवन कर आपस में लड़ते झगड़ते हैं। शास्त्री ने बताया जो भी व्यक्ति राक्षसी परंपरा का त्याग कर भक्त प्रहलाद के भक्ति मार्ग पर चलते हुए प्रेम और भाव के साथ होली महोत्सव को मानता है जैसे भगवान नरसिंह ने प्रहलाद की रक्षा की वैसे ही सभी भक्तों की रक्षा भगवान करते हैं चतुर्थ दिवस की कथा में ध्रुव चरित्र वामन चरित्र समुद्र मंथन की कथा एवं भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव सभी भक्तों ने धूमधाम के साथ बनाया इस अवसर पर राम खुराना,किरन खुराना,रोहित चुग,मधु चुग,पूनम सैनी,सुनील सैनी,अभिमन्यु दुर्गा, नमिता दुर्गा,त्रिलोकी नाथ शर्मा,गीता शर्मा,अंजू ओबेरॉय,राज ओबेरॉय,संगीता मदान, पंकज मदान,पूनम कुमार,किरण खुराना,पूनम सैनी,मधु चुग,शीतल सिडाना,योगिता मित्तल,रिंकू खुराना ,प्रीति खुराना,आरती माटा,श्रेष्ठा कुमार आदि ने भागवत का पूजन संपन्न किया
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार जुर्स कंट्री द्वारा होली महोत्सव के पावन अवसर पर श्रीमद्भागवत कथा का शुभारंभ किया गया कथा के चतुर्थ दिवस भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने होली महोत्सव के महत्व का वर्णन करते हुए बताया की प्राचीन काल में हिरण्यकशिपु नाम का एक अत्यंत बलशाली असुर था। अपने बल के अहंकार में वह स्वयं को ही ईश्वर मानने लगा था। उसने अपने राज्य में ईश्वर का नाम लेने पर ही पाबंदी लगा दी थी। हिरण्यकशिपु का पुत्र प्रह्लाद ईश्वर भक्त था। प्रह्लाद की ईश्वर भक्ति से क्रुद्ध होकर हिरण्यकशिपु ने उसे अनेक कठोर दंड दिए, परंतु उसने ईश्वर की भक्ति का मार्ग न छोड़ा हिरण्यकशिपु की बहन होलिका को वरदान प्राप्त था कि वह आग में भस्म नहीं हो सकती हिरण्यकशिपु ने आदेश दिया कि होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर आग में बैठे। आग में बैठने पर होलिका तो जल गई,पर प्रह्लाद बच गया। ईश्वर भक्त प्रह्लाद की याद में इस दिन होली जलाई जाती है। प्रतीक रूप से यह भी माना जाता है कि प्रह्लाद का अर्थ आनन्द होता है। वैर और उत्पीड़न की प्रतीक होलिका जलाने की लकड़ी जलती है और प्रेम तथा उल्लास का प्रतीक प्रह्लाद आनंद रहता है। परंतु वहीं पर राक्षसी परंपरा के लोग सवेरे उठकर के मांस मदीरा का सेवन कर आपस में लड़ते झगड़ते हैं। शास्त्री ने बताया जो भी व्यक्ति राक्षसी परंपरा का त्याग कर भक्त प्रहलाद के भक्ति मार्ग पर चलते हुए प्रेम और भाव के साथ होली महोत्सव को मानता है जैसे भगवान नरसिंह ने प्रहलाद की रक्षा की वैसे ही सभी भक्तों की रक्षा भगवान करते हैं चतुर्थ दिवस की कथा में ध्रुव चरित्र वामन चरित्र समुद्र मंथन की कथा एवं भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव सभी भक्तों ने धूमधाम के साथ बनाया इस अवसर पर राम खुराना,किरन खुराना,रोहित चुग,मधु चुग,पूनम सैनी,सुनील सैनी,अभिमन्यु दुर्गा, नमिता दुर्गा,त्रिलोकी नाथ शर्मा,गीता शर्मा,अंजू ओबेरॉय,राज ओबेरॉय,संगीता मदान, पंकज मदान,पूनम कुमार,किरण खुराना,पूनम सैनी,मधु चुग,शीतल सिडाना,योगिता मित्तल,रिंकू खुराना ,प्रीति खुराना,आरती माटा,श्रेष्ठा कुमार आदि ने भागवत का पूजन संपन्न किया
Comments
Post a Comment