हरिद्वार। श्री दक्षिण काली मंदिर में धूमधाम और उल्लास के साथ होली मनायी गयी। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के संयोजन में विशेष अनुष्ठान का आयोजन भी किया गया। जूना अखाड़े सहित कई अखाड़ों के महामंडलेश्वर, संतों और भक्तों को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भारत की पर्व संस्कृति पूरे विश्व को आकर्षित करती है। होली सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है। जो बुराई पर अच्छाई और भक्ति की शक्ति का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि भगवान नारायण के अनन्य भक्त प्रह्लाद को मारने के अनेक यत्न किए गए। लेकिन प्रभु कृपा से उनका कोई अहित नहीं हुआ। अंत में प्रह्लाद की बुआ होलिका उसे गोद में लेकर अग्नि में बैठ गयी। लेकिन भगवान नारायण की कृपा से प्रह्लाद सकुशल रहे और होलिका जल गयी। प्रह्लाद के बच जाने की खुशी में लोगों ने रंग गुलाल उड़ाकर खुशीयां मनायी। तभी से प्रतिवर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को होली मनाने की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि रंगों और उमंगों के इस पर्व को प्रेम और आत्मीयता से मनाएं और दूसरों को भी अपनी खुशियों में शामिल करें। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद एवं स्वामी ऋषिश्वरानंद ने सभी भक्तों को होली की शुभकामनाएं दी। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने सभी को होली की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि होली पर्व के उपलक्ष्य में लोकल्याण के लिए विशेष अनुष्ठान का आयोजन भी किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए।
हरिद्वार। श्री दक्षिण काली मंदिर में धूमधाम और उल्लास के साथ होली मनायी गयी। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के संयोजन में विशेष अनुष्ठान का आयोजन भी किया गया। जूना अखाड़े सहित कई अखाड़ों के महामंडलेश्वर, संतों और भक्तों को अबीर गुलाल लगाकर होली की शुभकामनाएं देते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि भारत की पर्व संस्कृति पूरे विश्व को आकर्षित करती है। होली सनातन संस्कृति का महत्वपूर्ण पर्व है। जो बुराई पर अच्छाई और भक्ति की शक्ति का संदेश देता है। उन्होंने कहा कि भगवान नारायण के अनन्य भक्त प्रह्लाद को मारने के अनेक यत्न किए गए। लेकिन प्रभु कृपा से उनका कोई अहित नहीं हुआ। अंत में प्रह्लाद की बुआ होलिका उसे गोद में लेकर अग्नि में बैठ गयी। लेकिन भगवान नारायण की कृपा से प्रह्लाद सकुशल रहे और होलिका जल गयी। प्रह्लाद के बच जाने की खुशी में लोगों ने रंग गुलाल उड़ाकर खुशीयां मनायी। तभी से प्रतिवर्ष फाल्गुन पूर्णिमा को होली मनाने की शुरूआत हुई। उन्होंने कहा कि रंगों और उमंगों के इस पर्व को प्रेम और आत्मीयता से मनाएं और दूसरों को भी अपनी खुशियों में शामिल करें। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद एवं स्वामी ऋषिश्वरानंद ने सभी भक्तों को होली की शुभकामनाएं दी। स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज के शिष्य स्वामी अवंतिकानंद ब्रह्मचारी ने सभी को होली की शुभकामनाएं देते हुए बताया कि होली पर्व के उपलक्ष्य में लोकल्याण के लिए विशेष अनुष्ठान का आयोजन भी किया गया। जिसमें बड़ी संख्या में श्रद्धालु भक्त शामिल हुए।
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